मेरठ, (हि.स.) । सरकार द्वारा अधिग्रहीत मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराने की मांग को लेकर विहिप एवं बजरंग दल के कार्यकताओं ने शनिवार को प्रदर्शन किया। उन्होंने राज्यपाल को भेजे ज्ञापन में हिन्दुओं को अपने मंदिरों का संचालन करने की अनुमति देने की मांग उठाई। तिरुपति बालाजी मंदिर में वितरित होने वाले महाप्रसाद की पवित्रता को लेकर शनिवार को विहिप एवं बजरंग दल ने आक्रोश रैली निकाली। जिमखाना मैदान पर इकट्ठा हुए कार्यकताओं ने कमिश्नरी तक रैली निकाली और जोरदार प्रदर्शन किया। इसके बाद जिलाधिकारी के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन भेजकर मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से बाहर करने की मांग उठाई। विहिप नेता अमित जिंदल ने कहा कि तिरुपति बालाजी मंदिर में वितरित होने वाले महाप्रसाद की पवित्रता को लेकर आस्थावान हिंदुओं की बहुत श्रद्धा होती है। दुर्भाग्य से इस महाप्रसाद को बनाने वाले घी में गाय व सूअर की चर्बी तथा मछली के तेल की मिलावट के अत्यंत दुखद और हृदय विदारक समाचार आ रहे हैं। पूरे देश का हिंदू समाज आक्रोशित है और हिंदुओं का क्रोध अलग-अलग रूप में प्रकट हो रहा है। इस पवित्र तीर्थ का संचालन आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा स्थापित बोर्ड द्वारा होता है। उन्होंने कहा कि वहां केवल महाप्रसाद बनाने के मामले में ही हिंदू आस्थाओं के साथ खिलवाड़ नहीं किया गया, अपितु हिंदुओं के द्वारा अत्यंत श्रद्धा भाव से अर्पित की गई देव राशि (चढ़ावा) के सरकारी अधिकारियों व राजनेताओं द्वारा दुरुपयोग के भी कष्टकारी समाचार मिलते रहते हैं। कई बार तो हिंदुओं के धर्म पर आघात कर हिंदुओं काधर्मांतरण करने वाली संस्थाओं को इस पवित्र राशि से अनुदान देने के समाचार भी मिलते रहे हैं। कई अन्य राज्य सरकारें भी मंदिरों की संपत्ति व आय का निरंतर दुरुपयोग करती रहती हैं तथा उनका उपयोग गैर हिंदू और हिंदू विरोधी कार्यो में करती रही है । हमारे देश में संविधान के सर्वोपरि होने की दुहाई बार-बार दी जाती है परंतु दुर्भाग्य से हिंदुओं की आस्थाओं के केंद्र मंदिरों पर विभिन्न सरकारें अपना नियंत्रण स्थापित कर हिंदुओं की भावनाओं के साथ सबसे घृणित धोखाधड़ी संविधान की आड़ में ही कर रही हैं। जो सरकारें संविधान की रक्षा के लिए निर्माण की जाती हैं वे ही संविधान की आत्मा की धज्जियां उड़ा रही है। अपने निहित स्वार्थ के कारण मंदिरों का अधिग्रहण कर वे संविधान की धारा 12, 25 व 26 का खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन कर रही हैं। विहिप नेताओं ने सवाल उठाया कि क्या स्वतंत्रता प्राप्ति के 77 वर्ष बाद भी हिंदुओं को अपने मंदिरों का संचालन करने की अनुमति नहीं दी जा सकती ? अल्पसंख्यकों को अपने धार्मिक संस्थान चलाने की अनुमति है, परंतु हिंदू को यह संविधान सम्मत अधिकार क्यों नहीं दिया जा रहा ? यह सर्वविदित है कि मुस्लिम आक्रमणकारियों ने मंदिरों को लूटा और नष्ट किया था। अंग्रेजों ने चतुराईपूर्वक उन पर नियंत्रण स्थापि करके उन्हें निरंतर लूटने की प्रक्रिया स्थापित कर दी। स्वतंत्रता के 77 वर्ष बाद भी भारत की सरकारें इस औपनिवेशिक मानसिकता से ग्रस्त है और हिंदुओं के मंदिरों पर नियंत्रण स्थापित कर लूट रही है। तिरुपति बालाजी व अन्य स्थानों पर की जा रही अनियमितताओं के कारण अब हिंदू समाज का यह विश्वास हो गया है कि अपने मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराए बिना उनकी पवित्रता को पुनर्स्थापित नहीं किया जा सकता। यह स्थापित मान्यता है कि हिंदू मंदिरों की संपत्ति व आय का उपयोग मंदिरों के विकास व हिंदुओं के धार्मिक कार्यों के लिए ही होना चाहिए। वास्तविकता यह है कि मंदिरों की आय व संपत्ति की खुली लूट अधिकारियों व राजनेताओं के द्वारा तो की ही जाती हैं कई बार उनके चहेते हिंदू विरोधियों द्वारा भी की जाती है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को उनके द्वारा नियंत्रित सभी हिंदू मंदिर अविलंब मुक्त करके हिंदू संतों व भक्तों को एक निश्चित व्यवस्था के अन्तर्गत सौंपने के लिए प्रेरित करें। इस व्यवस्था का प्रारूप पूज्य संतों ने कई वर्षों के चिंतन मनन व चर्चा के बाद निर्धारित किया है।