नई दिल्ली। यूनिफाइड लेंडिंग इंटरफेस (यूएलआई) को अलग कर एक नए उपक्रम में इसे तबदील किया जा सकता है। बैंक इस उपक्रम में अपनी हिस्सेदारी रखेंगे। यूएलआई भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के इनोवेशन हब (आरबीआईएच) का हिस्सा है लेकिन अब इसे अलग किया जा सकता है। इस मामले के जानकार ने बताया यूएलआई को व्यावसायिक रूप देने एक नई इकाई खड़ी करनी होगी। मौजूदा स्वरूप यानी आरबीआईएच के अंदर यह कार्य नहीं किया जा सकता। आरबीआई एवं इसकी सहायक इकाइयों को व्यावसायिक परिचालन की इजाजत नहीं है। आरबीआईएच केंद्रीय बैंक की पूर्ण स्वामित्व वाली इकाई है। यूएलआई जिस रूप में है उसमें इसे भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) का हिस्सा नहीं बनाया जा सकता है। एनपीसीआई की स्थापना भुगतान एवं निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के अंतर्गत हुई है। सूत्रों ने बताया कि यूएलआई के लिए अलग से एक इकाई तैयार करने की संभावनाओं पर चर्चा जारी है। इस इकाई में बैंक हिस्सेधारक के रूप में जुड़ेंगे। यह ठीक एनपीसीआई की तर्ज पर होगा जिसमें सार्वजनिक बैंक, विदेशी बैंक, सहकारी बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की हिस्सेदारी है। पिछले महीने आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि पीटीपीएफसी को यूएलआई के नाम से जाना जाएगा। उन्होंने ऋण आवंटन पर इसके संभावित प्रभाव की तुलना देश में भुगतान खंड में यूपीआई से आए बदलाव से की थी । यूएलआई का मकसद कर्जदाताओं तक डिजिटल जानकारियां पहुंचाना है । यह बिना किसी रुकावट के कम समय में ऋण आवंटन तय कराने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों, अकाउंट एग्रीगेटर, बैंक, क्रेडिट इन्फॉर्मेशन कंपनी, डिजिटल पहचान प्राधिकरणों सहित अन्य स्रोतों से जानकारियां जुटाएगा। सूत्रों ने संकेत दिए कि आरबीआई यूएलआई में हिस्सेदारी रखने वाली कंपनियों का दायरा बढ़ाने पर विचार कर रहा है ताकि इसमें पुरानी और नई वित्त- तकनीक एनबीएफसी भी शामिल हो सकें। पीटीपीएफसी में आधार ई-केवाईसी, भागीदार राज्य सरकारों की जमीन का लेखा- जोखा, उपग्रह से जुड़ी जानकारी, स्थायी खाता संख्या (पैन) सत्यापन, ट्रांसलिटरेशन, आधार ई-हस्ताक्षर, अकाउंट एग्रीगेटर सहित दुग्ध सहकारी संस्थाओं और जायदाद की खोज से जुड़ी कई जानकारियां उपलब्ध कराई गई हैं।