गुवाहाटी। 75वें संविधान दिवस के अवसर पर असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने कहा कि भारतीय संविधान का मसौदा धर्मनिरपेक्षता के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता के साथ तैयार किया गया था, जिसमें किसी विशेष धर्म पर ध्यान केंद्रित करने से परहेज किया गया था। गुवाहाटी के लोक सेवा भवन में इस अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान शर्मा ने कहा कि विभाजन के बाद भारत आसानी से धार्मिक बहुमत पर केंद्रित संविधान बना सकता था, लेकिन इसने एक अलग रास्ता चुना। अपने सदियों पुराने धर्मनिरपेक्ष लोकाचार के प्रति सच्चे रहते हुए भारत ने धार्मिक पूर्वाग्रह से मुक्त संविधान बनाया। उन्होंने कहा कि वैश्विक संदर्भ में, संविधान अक्सर किसी देश के प्रमुख धर्म को ध्यान में रखकर बनाए जाते हैं – उदाहरण के लिए, बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे देशों में। हालांकि, भारत एक अपवाद के रूप में सामने आता है। लगभग 90 प्रतिशत बहुमत होने के बावजूद, इसका संविधान धार्मिक आधार पर किसी भी पूर्वाग्रह के बिना तैयार किया गया था। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पदभार ग्रहण करने के बाद से लगातार संविधान को कायम रखा है। इस बीच, अक्षोम नागरिक समाज की ओर से केंद्र और राज्य दोनों सरकारों की आलोचना की गई तथा मोदी प्रशासन पर संविधान के सिद्धांतों को कमजोर करने का आरोप लगाया गया। मंगलवार को गुवाहाटी में एक प्रेस कांफ्रेंस में संगठन के महासचिव परेश मालाकार ने कहा कि देश में संविधान और लोकतंत्र ध्वस्त हो चुका है। ऐसे में संविधान दिवस मनाने का कोई मतलब नहीं है। संगठन ने गौतम अडानी और उनके भतीजे सागर अडानी के खिलाफ संयुक्त राज्य अमेरिका में गिरफ्तारी वारंट जारी होने की खबरों के संबंध में सरकार पर चुप्पी साधने का भी आरोप लगाया। मालाकार ने कहा कि केंद्र सरकार मणिपुर में जातीय संघर्षों के प्रति उदासीन बनी हुई है। इसके अलावा, इसने अडानी जैसी संस्थाओं को देश का शोषण करने की अनुमति दी है। उन्होंने सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि सरकार पर्यावरण की उपेक्षा कर रही है तथा शहरी विकास में कुप्रबंधन कर रही है। उन्होंने कहा कि यह सरकार केवल पेड़ों की कटाई का जश्न मनाती है । गुवाहाटी न केवल चल रहे फ्लाईओवर निर्माण से पीड़ित है, बल्कि फुटपाथों की भी दुर्दशा हो रही है। सरकार ने बुनियादी ढांचे के विकास के नाम पर शहर की विरासत को नष्ट कर दिया है।