सेबी ने म्यूचुअल फंड नियमों में किए बदलाव असेट मैनेजमेंट कंपनियों को दिए निर्देश

सेबी ने म्यूचुअल फंड नियमों में किए बदलाव असेट मैनेजमेंट कंपनियों को दिए निर्देश
सेबी ने म्यूचुअल फंड नियमों में किए बदलाव असेट मैनेजमेंट कंपनियों को दिए निर्देश

नई दिल्ली.

मार्केट रेगुलेटर सेबी ने म्यूचुअल फंड के नियमों में बदलाव करते हुए असेट मैनेजमेंट कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे नए फंड ऑफर से जुटाए गए पैसे को समय सीमा में ही निवेश करें। साथ ही रेगुलेटर ने निवेशकों को ज्यादा पारदर्शिता देने के लिए म्यूचुअल फंड स्कीम्स के स्ट्रेस टेस्टिंग की जानकारी देने को भी कहा है। ये बदलाव 1 अप्रैल, 2025 से लागू होंगे। इसका मकसद म्यूचुअल फंड्स के लिए कामकाज में लचीलापन लाना और निवेशकों के बीच जवाबदेही और भरोसा तय करना है।

सेबी ने 14 फरवरी को जारी एक अधिसूचना में कहा था कि एनएफओ में मिली राशि का इस्तेमाल तय समयसीमा में किया जाएगा। इस बारे में बोर्ड समय-समय पर निर्देश जारी कर सकता है । यह बदलाव सेबी बोर्ड द्वारा दिसंबर में एक प्रस्ताव को मंजूरी देने के बाद आया है। इसमें फंड मैनेजरों को एनएफओ के दौरान इकट्ठा की गई रकम को स्कीम के तय असेट एलोकेशन के मुताबिक 30 दिनों में निवेश करने को कहा था।

रेगुलेटर ने कहा था कि अगर तय समय सीमा में पैसा निवेश नहीं किया जाता है, तो निवेशकों को बिना एग्जिट लोड चुकाए स्कीम से बाहर निकलने का विकल्प होगा। ये बदलाव एएमसीएस को एनएफओ के दौरान ज्यादा पैसा इकट्ठा करने से रोकता है। इसकी वजह ये है कि निवेशक बाद में मौजूदा नेट असेट वैल्यू (एनएवी) पर ओपन-एंडेड स्कीम्स में निवेश कर सकते हैं । असेट मैनेजमेंट कंपनियों के कर्मचारियों के लिए काम करने में आसानी के लिए भी सेबी ने कदम उठाए हैं। सेबी का कहना है कि एएमसी ऐसे कर्मचारियों के वेतन का एक फीसदी म्यूचुअल फंड स्कीम की यूनिट में निवेश करेगा। यह कर्मचारियों के पोस्ट या भूमिका के आधार पर होगा।

सेबी ने म्यूचुअल फंड नियमों में किए बदलाव असेट मैनेजमेंट कंपनियों को दिए निर्देश
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