शहीद की बेटी को पांच लाख रुपए मुआवजा देने का एचसी ने दिया आदेश
गुवाहाटी। गौहाटी उच्च न्यायालय ने 30 नवंबर को राज्य सरकार को 1981 में असम आंदोलन के दौरान अपनी जान गंवाने वाले एक व्यक्ति की बेटी को 5 लाख रुपए का मुआवजा देने का निर्देश दिया है। प्रारंभिक खंडन इस दावे पर आधारित था कि राशि पहले ही मृत व्यक्ति के भाई को वितरित कर दी गई थी। न्यायमूर्ति देवाशीष बरुआ की एकल न्यायाधीश पीठ ने कहा कि उचित दस्तावेज के बिना मृतक के भाई (प्रतिवादी नंबर 4 ) को अनुग्रह राशि का भुगतान गलत तरीके से किया गया, जिससे याचिकाकर्ता, स्वर्गीय लोकनाथ सैकिया की बेटी को उचित अधिकार से वंचित कर दिया गया। अदालत ने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में इस न्यायालय की राय है कि प्रतिवादी प्राधिकारी याचिकाकर्ता को प्रतिवादी नंबर 4 को उक्त राशि गलत तरीके से वितरित करने की गलती के कारण 5 लाख रुपए की अनुग्रह राशि के अनुदान से वंचित नहीं कर सकते हैं। याचिकाकर्ता, स्वर्गीय लोकनाथ सैकिया की बेटी, ने इसके बारे में जानने के बाद अनुग्रह मुआवजा योजना के लिए आवेदन किया था। हालांकि, मृतक व्यक्ति के भाई को भुगतान का हवाला देते हुए दावे को शुरू में अस्वीकार कर दिया गया था। न्यायमूर्ति बरुआ ने संवितरण प्रक्रिया में दोष पर प्रकाश डाला और याचिकाकर्ता के उचित अधिकार पर जोर दिया। अदालत ने राज्य सरकार को 60 दिनों की अवधि के भीतर 5 लाख रुपए की राशि याचिकाकर्ता को वितरित करने के लिए उचित कदम उठाने का निर्देश दिया। राज्य सरकार ने अपने हलफनामे में उल्लेख किया कि प्रतिवादी संख्या 4 ने नगांव के उपायुक्त के माध्यम से रिपोर्ट प्राप्त किया। सरकार ने आगे तर्क दिया कि चूंकि राशि का भुगतान पहले ही किया जा चुका है, इसलिए किसी अन्य लाभार्थी को भुगतान का सवाल ही नहीं उठता। हालांकि, अदालत ने बताया कि याचिकाकर्ता का निकटतम रिश्तेदार होना कोई विवाद नहीं है और नगांव के उपायुक्त ने 27 दिसंबर, 2016 को ही इस मामले को उजागर कर दिया था ।