गुवाहाटी (हिंस)। राज्य की बिहाली विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई की साख दांव पर लग गई है। उल्लेखनीय है कि राज्य की पांच विधानसभा सीटों पर 13 नवंबर को होने जा रहे मतदान को लेकर सत्तारूढ़ तथा प्रतिपक्ष के सभी दलों ने अपनी एड़ी चोटी की ताकत लगा रखी है। इसी बीच चुनाव प्रचार समाप्त हो चुका है। दरअसल महज डेढ़ वर्ष की अवधि के लिए होने जा रहे इस चुनाव को भाजपा की पराजय का आगाज बनाने की चेष्टा की जा रही है। 2026 में होने वाले असम विधानसभा के चुनाव का ट्रेलर इस चुनाव परिणाम के साथ लोगों को देखने वाला है। यही वजह है कि सभी दल अपने-अपने तरीके से चुनाव में अपनी पूरी ताकत लगा रहे में हैं। सत्तारूढ़ भाजपा तथा कांग्रेस के नेता इस दरमियान दिन रात चुनाव प्रचार करते देखे गए। इसी के बीच राज्य की पांच में से एक बिहाली सीट कांग्रेस में गौरव गोगोई के नेतृत्व क्षमता की परीक्षा से जुड़ गई है। गौरव गोगोई ने इस सीट को जीतने हेतु अपनी पूरी ताकत लगा दी है। न सिर्फ गौरव गोगोई, बल्कि कांग्रेस में गौरव गोगोई ब्रिगेड के माने जाने वाले सभी नेता बिहाली सीट पर दिन- रात मेहनत कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि बीते लोकसभा चुनाव में तमाम विपक्षी दलों के साथ ही पूरी कांग्रेस के एकजुट प्रयास के बावजूद काफी जद्दोजहद करके गौरव गोगोई जीतने में सफल रहे । पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के पुत्र गौरव गोगोई को यह चुनाव जीताने के लिए संपूर्ण विपक्ष लग चुका था । इस सीट पर जीतना कांग्रेस के साथ ही सभी विपक्षी दलों के लिए असम में अपना अस्तित्व बचाना लोकसभा चुनाव के दौरान माना जा रहा था । गौरव गोगोई चुनाव जीत गए। लेकिन, चुनाव जीतने के बाद ही गौरव गोगोई भस्मासुर की भूमिका में आ गए। लोकसभा चुनाव में गौरव को जीताने के लिए अपनी पूरी ऊर्जा लगा देने वाले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेन कुमार बोरा को अध्यक्ष पद से हटाने की मुहिम में गौरव गोगोई जीतने के पहले दिन से ही लग गए। उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव के दौरान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के नेतृत्व में विपक्ष ने महागठबंधन तैयार किया था। इस महागठबंधन को लोकसभा चुनाव के दौरान ही कांग्रेस के नेताओं ने ठेंगा दिखा दिया था । भूपेन बोरा की कोशिशों के बावजूद विपक्षी गठबंधन में बिखराव आ गया। यही वजह थी कि जोरहाट के अलावा राज्य की सिर्फ दो मुस्लिम बहुल सीटें ही कांग्रेस जीत सकी । भूपेन बोरा चाहकर भी गठबंधन को संभाल नहीं सके । आसन्न विधानसभा उपचुनाव को लेकर गठबंधन में यह तय हुआ था कि चार सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवार खड़े करेगी, जबकि 5वीं बिहाली सीट पर सीपीआईएम की ओर से गठबंधन का उम्मीदवार खड़ा किया जाएगा। प्रदेश अध्यक्ष भूपेन बोरा की इस घोषणा के विरुद्ध कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई खुलकर मैदान में सामने आ गए। न सिर्फ भूपेन बोरा को गठबंधन के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने को बाध्य कराया, बल्कि बिहाली सीट पर भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आए जयंत बोरा को गौरव गोगोई ने उम्मीदवार बनवाया। वहीं दूसरी ओर, गौरव गोगोई ब्रिगेड के नेता चुनाव के दौरान यह प्रचार करते रहे कि 2026 में गौरव गोगोई असम के मुख्यमंत्री बनेंगे। गौरव गोगोई ब्रिगेड के नेता फिलहाल यह सरेआम प्रचार कर रहे हैं कि विधानसभा उपचुनाव के बाद गौरव गोगोई प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाए जाएंगे। यही वजह है कि बिहाली सीट के साथ गौरव गोगोई की साख जुड़ गई है। यदि कांग्रेस बिहाली सीट जीत लेती है तो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेन बोरा की कुर्सी निश्चित ही खतरे में आ जाएगी। वहीं, यदि बिहाली सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार की पराजय होती है तो गौरव गोगोई बेताज बादशाह बनकर ही रह जा सकते हैं।