विश्वनाथ (विभास) । राज्यों के अन्य हिस्सों के तरह विश्वनाथ जिला में भी विजया दशमी के शुभ अवसर पर भक्तों ने नम आंखों से मां दुर्गा को बह्मपुत्र नद में विसर्जन दिया। सर्वप्रथम पुजारी के मंत्र उच्चारण और विधि विधान द्वारा कल दिशमी पूजा संपन्न किया। पुजारी ने वेद की मंत्र उच्चारण से मां दुर्गा के प्रतिबिंब को पात्र में गंगा जल समाहित में दर्शन करवाकर विसर्जित किया। इधर आज सभी पूजा पंडाल में मां को अंतिम दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं की तांता लगा रहा। विश्वनाथ चारिआलि के बहु बजार में स्थित शिवाजी संघ के दुर्गा पूजा समिति के पंडाल में विजया दशमी के शुभ क्षण में भक्तों की भीड़ उमड़ी। महिलाएं मां दुर्गा के श्रीचरणों में आशीर्वाद लेते हुए मां दुर्गा के मुंह में विभिन्न मिठाई खिलाते हुए दिखाई दी। इधर श्रद्धालुओं ने मां दुर्गा के समीप अस्त्र पूजन की। साथ ही मां के गालों से पान के द्वारा आशीष ली । श्रद्धालुओं के चेहरे पूजा उत्साह की रौनक छायी रही। इधर विद्यार्थी भी अपने पुस्तक को मां दुर्गा के श्रीचरणों में रखकर प्रणाम किया। महिलाएं एक दूसरे महिलाओं के गालों में सिंदूर खेलते हुए नजर आए। सभी महिलाएं ढाक के धुन में नृत्य की। तत्पश्चात् विश्वनाथ चारिआलि के दुर्गा पूजा पंडालों के मां दुर्गा की प्रतिमा को भक्तों द्वारा नृत्य करते हुए गुप्त काशी विश्वनाथ घाट में विसर्जन दिया गया। विश्वनाथ चारिआलि शहर के प्रायः 60 दुर्गा पूजा पंडाल के प्रतिमा को नम आंखों से विदाई दिया गया। साथ ही विश्वनाथ जिले के ढोली, पाभोई, बरगांग, बिहाली, हेलेम, गहपुर, सोतिया आदि स्थानों में दुर्गा पूजा की रौनक छाई रही। जिले के सभी पूजा पंडाल में जातीय स्वरूप तथा स्वभाषा का ज्ञान अंकन किया गया। प्रायः पूजा समिति द्वारा समाज में एक जागरूकता लाने की चेष्टा की गई। इधर पाभोई रोड के शिवाजी संघ द्वारा केंद्र सरकार द्वारा असमीया भाषा को शास्त्रीय भाषा प्रदान करने का गौरवमय उपलब्धि को साझा करने के उद्देश्य अपने पूजा पंडाल में स्वभाषा के स्वर वर्ण, व्यंजन वर्ण, मात्रा और संख्या का अंकित किया। यह पूजा पंडाल बुजुर्ग, सामाजिक व्यक्तियों, शिक्षाविद तथा बच्चों में आकर्षण का केंद्र बिंदु बना। सभी भक्त इस पंडाल में फोटोशूट लेते नजर आए।