वर्ष 2024 में चीन की विकास दर घटकर 4.0 फीसदी होगी वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारत के मौके

हाल ही में लाओस के वियनतियाने में आयोजित आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में आसियान देशों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक के बाद जो बयान जारी किया है, उसके मुताबिक ये देश इस समूचे क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता से असहज और परेशान हैं तथा भारत के साथ आर्थिक, कारोबारी व सुरक्षा संबंधों का नया दौर आगे बढ़ाएंगे। इसी तरह हाल ही में वल्ड बैंक के द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट अक्टूबर 2024 में कहा गया है कि वैश्विक चुनौतियों के बीच चीन के प्रोत्साहन उपायों के बावजूद चीन की अर्थव्यवस्था सुस्त होगी और भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। वर्ष 2024 में चीन की विकास दर घटकर 4.0 फीसदी होगी। जबकि भारत की विकास दर 6.3 फीसदी से अधिक रहेगी। वस्तुतः भारत के पास उपभोक्ताओं का उभरता हुआ विशाल बाजार, युवाओं में जबरदस्त ढंग से आगे बढने की ललक, उद्यमिता की भावना और सुधार का रवैया वैश्विक संघर्ष और चुनौतियों के बावजूद भारत के लिए नए अवसरों का आधार है। गौरतलब है कि विगत 4 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीसरे कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि रूस-यूक्रेन और इजराइल – ईरान युद्ध की अनिश्चितता के बीच भी दुनिया का भारत पर असाधारण आर्थिक विश्वास बना हुआ है। मोदी ने कहा कि दुनिया की नजरों में यह युग भारत का युग है। भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। दुनिया में भारत ग्लोबल फिनटेक एडाप्शन के मामले में पहले क्रम पर है । इंटरनेट उपभोक्ताओं के मामले में दूसरे क्रम पर है। स्टार्टअप के मामले में तीसरे क्रम पर है और नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के मामले में चौथे क्रम पर है। इतना ही नहीं, विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और मूडीज जैसी वैश्विक एजेंसियां वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच भारत को दुनिया की सबसे विश्वसनीय और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के साथ-साथ निवेश के पसंदीदा देश के रूप में देख रही हैं। यद्यपि इस समय पश्चिम एशिया में बढ़ते संघर्ष और रूस – यूक्रेन युद्ध के विस्तारित होने के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था में गिरावट का दौर बढ़ रहा है, लेकिन फिर भी भारतीय अर्थव्यवस्था में वैश्विक विश्वास और तेज विकास के मद्देनजर देसी उद्यमियों के साथ वैश्विक उद्यमियों के लिए भी बढ़ते अवसरों का परिदृश्य उभरकर दिखाई दे रहा है। इस परिप्रेक्ष्य में उल्लेखनीय है कि हाल ही में दुनिया की ख्याति प्राप्त वित्तीय सेवा फर्म मॉर्गन स्टेनली ने कहा है कि सितंबर 2024 के दौरान भारत ने चीन को पीछे छोड़ते हुए खुद को निवेश की पसंदीदा जगह बना लिया है। इसी परिप्रेक्ष्य में एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने अपनी नई रिपोर्ट 2024 में कहा है कि भारत आर्थिक विकास, विदेशी निवेश और नई तकनीकों के उपयोग की ऊंची संभावनाओं वाला देश है। अमेरिका चैंबर ऑफ कॉमर्स की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2024 में अमेरिका की कंपनियों की वैश्विक निवेश पसंदगी में भारत का दूसरा स्थान है । इस समय चीन अमेरिकी निवेशकों की प्राथमिकता खोता जा रहा है । इतना ही नहीं, अमेरिका और चीन में बढ़ते तनाव के माहौल में इस समय चीन में कार्यरत 12 लाख करोड़ रुपए निवेश वाली 50 अमेरिकी कंपनियां अपना कारोबार चीन से समेटने की तैयारी में हैं। इन कंपनियों में से 15 कंपनियां भारत में निवेश की तैयारी कर रही हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि विगत 23 सितंबर को प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका यात्रा के दौरान न्यूयॉर्क में एआई, क्वांटम कंप्यूटिंग और सेमीकंडक्टर जैसी अत्याधुनिक तकनीकों पर काम करने वाली 15 प्रमुख अमेरिकी कंपनियों के सीईओ को संबोधित करते हुए कहा कि भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के बहुआयामी क्षेत्रों में दुनिया के लिए अपार आर्थिक मौके हैं। साथ ही भारत के प्रति अपार आशावाद भी भारत को प्रगति की डगर पर आगे बढ़ा रहा है। बौद्धिक संपदा की सुरक्षा, तकनीकी नवाचार को बढ़ावा, इलेक्ट्रॉनिक्स, सूचना प्रौद्योगिकी तथा विनिर्माण क्षेत्र को ऊंचाई पर पहुंचाने के लिए भारत रणनीतिक रूप से आगे बढ़ रहा है। भारत पिछले तीन लगातार वर्षों से 7 प्रतिशत से अधिक की सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर के साथ दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है । इस समय भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। अब उनके तीसरे कार्यकाल में भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं। सरकार भारत को ‘सेमीकंडक्टर विनिर्माण का वैश्विक केंद्र’ बनाने के लिए भी प्रतिबद्ध है। ऐसे में वैश्विक कंपनियों को भारत की विकास गाथा का लाभ उठाना चाहिए तथा भारत के आर्थिक और तकनीकी विकास से अवसरों का दोहन करना चाहिए। इसमें कोई दो मत नहीं है कि अब भारत को आर्थिक दुनिया के एक उभरते सितारे के रूप में देखा जा रहा है, जो भारत की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय साख को दर्शाता है। वैश्विक राजनीतिक और आर्थिक मंचों पर भारत को विशेष अहमियत भारत की आर्थिक स्थिति से भी मिल रही है। अमेरिका और रूस दोनों महाशक्तियों के साथ भारत की मित्रता के नए अध्याय दुनिया में भारत की प्रतिष्ठा एवं भारतीय बाजार में मौके बढ़ा रहे हैं। निःसंदेह भारत में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर, कृषि विकास और बढ़ती ग्रामीण अर्थव्यवस्था देश और दुनिया के कारोबारियों और निवेशकों के लिए मौकों का नया द्वार खोल रही है। देश में खाद्यान्न उत्पादन ऊंचाई बना रहा है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान के मुताबिक अब देश की खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ वैश्विक खाद्य सुरक्षा में अहम भूमिका निभाने के लिए भारत रणनीतिक रूप से आगे बढ़ रहा है। अब भारत दुनिया के खाद्य कटोरे के रूप में रेखांकित हो रहा है। भारत दुनिया के 150 से अधिक देशों को खाद्य पदार्थों के निर्यातक देश के रूप में दुनिया में रेखांकित हो रहा है। भारत दुनिया का आठवां बड़ा कृषि निर्यातक देश बन गया है। उल्लेखनीय है कि भारतीय शेयर बाजार ऊंचाई पर है और दुनिया के लिए भारतीय शेयर बाजार में मौके बढ़ रहे हैं। वर्ष 2024 की शुरुआत से भारत में आईपीओ का बाजार गुलजार है। भारत में म्युचुअल फंड (एमएफ) में निवेश छलांग लगाकर बढ़ रहे हैं। अगस्त 2024 तक डीमैट खातों की संख्या 17.10 करोड़ के पार हो गई है। इसमें कोई दो मत नहीं है। कि विदेश व्यापार में भारत की नई संभावनाएं दुनिया के लिए नए मौके के रूप में हैं। ‘चीन प्लस वन’ रणनीति के तहत भारत दुनिया के सक्षम व भरोसेमंद देश के रूप में वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में नई भूमिका निभा रही है।

वर्ष 2024 में चीन की विकास दर घटकर 4.0 फीसदी होगी वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारत के मौके
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