नई दिल्ली। वक्फ संशोधन विधेयक पर शुक्रवार को संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) की दूसरी बैठक हुई। इसमें मुस्लिम संगठनों के विचार जाने गए। इसमें ऑल इंडिया सुन्नी जमीयत उलेमा ने बिल का किया विरोध । उलेमा ने कहा कि हमें संशोधन मंजूर नहीं है। वक्फ मुसलमानों का मामला है। सरकार दखल ना दे । इंडियन मुस्लिम फॉर सिविल राइट्स संस्था ने भी जेपीसी के सामने संशोधन का विरोध किया। संस्था के अध्यक्ष पूर्व सांसद मोहम्मद अदीब हैं। संस्था ने वक्फ संशोधन के मामले को मुसलमानों के मामले में दखलंदाजी बताया। लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी बयान के अनुसार, भाजपा के वरिष्ठ नेता जगदंबिका पाल की अगुवाई वाली समिति ने विधेयक के व्यापक प्रभावों को देखते हुए आम जनता, गैर सरकारी संगठनों, विशेषज्ञों, हितधारकों और संस्थानों से विशेष रूप से विचार मांगे हैं। अगले 15 दिनों के भीतर लोगों से लिखित में सुझाव साझा करने को कहा गया है। इसमें कहा गया है कि समिति को सौंपे गए ज्ञापन और सुझाव, समिति के रिकॉर्ड का हिस्सा होंगे। उन्हें गोपनीय माना जाएगा। विधेयक को 8 अगस्त को लोकसभा में पेश किया गया था। चर्चा के बाद संसद की संयुक्त समिति को भेजा गया था । लोकसभा में बिल पेश करते हुए सरकार की ओर से कहा गया था कि प्रस्तावित कानून से मस्जिदों के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं होगा । विपक्ष ने इसे मुसलमानों को निशाना बनाने के लिए उठाया गया कदम और संविधान पर हमला बताया था। इस महीने की शुरुआत में जेपीसी की पहली बैठक हुई थी। इसमें कई विपक्षी सांसदों ने प्रस्तावित कानून के प्रावधानों पर आपत्ति जताई थी। पहली बैठक में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की ओर से एक प्रेजेंटेशन भी दी गई थी। बैठक में कई बार तीखी बहस हुई थी। हालांकि विभिन्न दलों के सदस्यों ने विधेयक के प्रावधानों पर अपने सुझाव दिए और स्पष्टीकरण मांगा।