योग से कैंसर की रोकथाम…

एम्स के इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च विभाग की रिसर्च के मुताबिक लगातार योग करने से शरीर में ऐसे केमिकल बनते हैं जिससे कैंसर बनाने वाली कोशिकाओं पर दबाव पड़ता है। इसके लिए इंडियन काउंसिल ने 150 कैंसर मरीजों पर रिसर्च की और उन्हें लगातार तीन महीने तक प्रणायाम, सुदर्शन क्रिया और ध्यान करवाया गया। तीन महीने बाद ब्लड टेस्ट कराए गए और उसके जो नतीजे समाने आए वो चौंकाने वाले थे। कैंसर मरीजों के शरीर में कार्टिसो लेवल कम पाया गया और डब्ल्यूएचओ स्तर के

मुताबिक उन सभी की क्वालिटी आफ लाइफ में सुधार पाया गया। तीसरी और चौथी स्टेज

अमूनन कैंसर की तीसरी और चौथी स्टेज में मरीज को असहनीय दर्द होता है। ऐसे में मरीजों को मार्फिन की दवा दी जाती है ताकि उन्हें दर्द से निजात मिल सके। एम्स के कैंसर विभाग में प्रोफेसर सुषमा ऐसे ही मरीजों का इलाज करती हैं। उनका कहना है कि जब हमने रिसर्च की तो पाया कि योग करने वाले मरीजों में दर्द सहने की क्षमता काफी बढ़ गई थी। एम्स के निदेशक डॉ. एम. सी मिश्रा इस रिसर्च से बेहद उत्साहित हैं और कहते हैं मैं रोज योगा करता हूं इसलिए 62 साल की उम्र में भी पूरी तरह फिट हूं । निश्चित तौर पर योग से कैंसर की रोकथाम में मदद मिल सकती है।

योग प्रणाली में कैंसर

योग प्रणाली में कैंसर कोशिकाओं को समाज में क्रिमनल के तौर पर देखा जाता है। कोशिकाओं के यह समूह खतरनाक साबित होते हैं क्योंकि यह बड़ी दिक्कत पैदा कर सकते हैं। इसी तरह कैंसर कोशिकाएं हमारे सारे शरीर में मौजूद रहती हैं, लेकिन उनमें से कुछ हमारे जीवन या शरीर को उस तरह प्रभावित नहीं करती। जब तक वे अकेली हों तो कोई समस्या नहीं। हालांकि यही कोशिकाएं जब बढ़ने लगती हैं, तो उनका हमारी सेहत पर बुरा असर दिखाई देने लगता है। योग में आमतौर पर हम इसे इस तरह देखते हैं जैसे इंसान के व्यवहार,खान-पान, जीवनशैली या किन्हीं दूसरी वजहों से जब ऊर्जा में कुछ खास किस्म का खालीपन पैदा हो जाता है तो शरीर में कैंसर कोशिकाओं के बढ़ने का खतरा बनता है। अगर शरीर के किसी खास हिस्से में ऊर्जा का प्रवाह ठीक नहीं हो तो कैंसर कोशिकाएं उस जगह को छुपने और फलने-फूलने के लिए चुन लेती हैं। कैंसर कोई बीमारी नहीं, बल्कि इसमें कुछ कोशिकाएं आपके खिलाफ हो जाती हैं और इससे आपका शरीर ही आपके खिलाफ काम करने लग जाता है।

योग से कैंसर की रोकथाम...
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