तत्काल सुनवाई की मांग पर सीजेआई ने मांगा ईमेल
कोलकाता। तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा ने लोकसभा से निष्कासन के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। बुधवार (13 दिसंबर) को महुआ मोइत्रा ने मामले की तत्काल सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, लेकिन, आज कोर्ट ने ये इजाजत देने से इनकार कर दिया। इससे पहले दिन में महुआ मोइत्रा ओर से पेश हुए प्रमुख वकील अभिषेक मनु सिंघवी मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ से गुहार लगाई कि मामले की सुनवाई गुरुवार या शुक्रवार को की जाए । लेकिन, मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि मामले को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं किया जा सकता है। हालांकि, अदालत ने महुआ के फैसले को पूरी तरह से खारिज नहीं किया। चीफ जस्टिस ने अभिषेक मनु सिंघवी से इस संबंध में ईमेल भेजने को कहा। फिर उन्होंने कहा कि वह इस बारे में सोचेंगे। इससे पहले दिन में, अभिषेक मनु सिंघवी ने मामले की तत्काल सुनवाई के लिए न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ में याचिका दायर की। न्यायमूर्ति कौल ने इस संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश के लिए याचिका को भुगतान न्यायाधीश की पीठ के पास भेजने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट 15 दिसंबर से शीतकालीन अवकाश के लिए बंद हो रहा है। महुआ मोइत्रा इस मामले की तत्काल सुनवाई चाहती थीं, ताकि उससे पहले इस मामले की सुनवाई हो सके । महुआ मोइत्रा पर एक व्यवसायी से नकदी और अन्य महंगे उपहार लेने का आरोप था । इस संबंध में बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने स्पीकर ओम बिरला को पत्र लिखकर शिकायत की थी। ओम बिरला ने संसदीय आचार समिति को जांच के आदेश दिए। 8 दिसंबर को लोकसभा में एथिक्स कमेटी ने कहा कि महुआ मोइत्रा ने अपने संसदीय ईमेल खाते का विवरण व्यवसायी के साथ साझा किया था। इससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता था । इसलिए, समिति ने उन्हें लोकसभा से निष्कासित करने की सिफारिश की। यह रिपोर्ट मिलने के बाद संसदीय कार्य मंत्री महुआ ने मैत्रा को लोकसभा से निष्कासित करने का प्रस्ताव रखा और इसे ध्वनि मत से स्वीकार कर लिया गया। मंगलवार को पता चला कि सांसद पद से बर्खास्त होने के बाद उन्हें सरकारी बंगला खाली करने का नोटिस भी दिया जा रहा है।