लखनऊ (हिंस) । राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के राष्ट्रीय सचिव अनुपम मिश्रा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर भारतीय न्यायिक व प्रशासनिक सेवा की तर्ज़ पर भारतीय शिक्षण सेवा अर्थात आई.टी.एस के गठन की मांग की है। प्रधानमंत्री को लिखे गए पत्र में अनुपम मिश्रा ने एक नवीन व अति महत्वपूर्ण विषय को उठाया है। कमाल की बात यह है कि इतने महत्वपूर्ण विषय पर आज तक किसी का ध्यान ही नहीं गया या जानबूझकर इस तरफ ध्यान नहीं दिया गया। उन्होंने अपने पत्र में प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि जिस प्रकार भारतीय प्रशासनिक सेवाओं, भारतीय न्यायिक सेवाओं, भारतीय पुलिस सेवाओं व भारतीय विदेश सेवाओं इत्यादि के लिए न्यायिक अधिकारियों तथा लोक सेवकों का चयन किया जाता है उसी तर्ज़ पर शिक्षकों का चयन हो । अपने पत्र में रालोद के राष्ट्रीय सचिव अनुपम मिश्रा ने लिखा कि जैसा कि सर्वविदित भी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दूरदर्शी, नवाचार व राष्ट्र हित से सम्बंधित कठोर से कठोर प्रशासनिक निर्णय लेने हेतु न केवल तत्पर रहते हैं बल्कि ऐसे निर्णयों को धरातल पर क्रियान्वित किए जाने तक उस पर कड़ी नजर बनाए रखते हैं। उनकी इसी अद्भुत नेतृत्व क्षमता व दूरदर्शिता से प्रभावित होकर उनका ध्यान राष्ट्रहित व राष्ट्र निर्माण से सम्बंधित एक महत्वपूर्ण विषय की ओर आकृष्ट करा रहे हैं। साथ ही यह विश्वास भी करते हैं कि वह इसे अवश्य क्रियान्वित करेंगे। उन्होंने लिखा है कि किसी भी राष्ट्र का भविष्य तभी उज्जवल व सशक्त हो सकता है जबकि वहां की आने वाली पीढ़ी ना केवल सुशिक्षित हो बल्कि योग्य एवं तर्कशील हो और ऐसी क्षमताओं से युक्त नई पीढ़ी का निर्माण शिक्षक करते हैं । अर्थशास्त्र के रचयिता आचार्य विष्णु गुप्त जिन्हें सभी चाणक्य अथवा कौटिल्य के नाम से भी जानते हैं उन्होंने कहा था कि सृजन व विध्वंस शिक्षक की गोद में पलते हैं और उनके इस कथन से आज भी आधुनिक समाज का कोई भी विद्वान व्यक्ति असहमति नहीं रखता है । अत: देश में शिक्षकों के चयन हेतु एक नवीन संघ शिक्षण आयोग (यूनियन एजुकेशन कमीशन) की स्थापना कर देश में आईटीएस अर्थात इंडियन टीचिंग सर्विसेस की स्थापना कर शिक्षकों का चयन उसी प्रक्रिया के तहत किया जाए जैसे कि भारतीय न्यायिक सेवा से न्यायाधीशों को भारतीय प्रशासनिक सेवा से लोक सेवकों को, भारतीय पुलिस सेवा से पुलिस अधिकारियों को, भारतीय विदेश सेवा से राजदूतों को तथा भारतीय राजस्व सेवाओं से आयकर विभाग के आयकर आयुक्तों इत्यादि को चयनित करते हैं । उन्होंने यह भी लिखा है कि यदि एक नवीन आयोग का गठन किन्ही कारणों से सम्भव न हो तो प्रशासनिक सेवाओं के चयन की प्रक्रिया में ही शिक्षकों के चयन की प्रक्रिया को जोड़ दिया जाए तथा जो वरीयता सूची में सर्वोच्च स्थान ग्रहण करें वह शिक्षण के क्षेत्र में जाएं जो कि आई. टी. एस अर्थात इंडियन टीचिगं सर्विसेज कहलायेगी। दूसरे स्थान पर आने वाले भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाएंगे, तीसरे स्थान पर आने वाले भारतीय विदेश सेवा में जाएंगे, चौथे स्थान पर आने वाले भारतीय पुलिस सेवा में जाएंगे तथा पांचवें स्थान पर आने वाले भारतीय राजस्व सेवाओं के लिए चयनित किए जाएंगे इत्यादि । इस सम्बंध में विस्तृत जानकारी व रिपोर्ट विशेषज्ञों के माध्यम से तैयार कराई जा सकती है अन्यथा वह स्वयं निशुल्क इस पूरी प्रक्रिया की एक रिपोर्ट बनाकर सौंपने के लिये तैयार हैं। उनका कहना है कि आई. टी. एस में चयनित शिक्षकों का वेतनमान, भत्ते व सम्मान न्यायपालिका के न्यायाधीशों के समकक्ष होंगे। यदि ऐसा होता है तो विश्व में यह अपने तरीके का एक नव प्रयोग होगा जो कि भारत के विश्व गुरु बनाने के संकल्प की राह में एक मील का पत्थर साबित होगा ।