नई दिल्ली। भारत का रक्षा रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (एमआरओ) क्षेत्र में अगले पांच वर्षो में विस्तार के लिए तैयार है। इस क्षेत्र में विश्वस्तरीय एमआरओ केंद्र स्थापित करने के लिए घरेलू कंपनियां वैश्विक एरोस्पेस दिग्गजों के साथ मिलकर काम करेंगी। लॉकहीड मार्टिन और बोइंग जैसी कंपनियों के निवेश और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (टीएएसएल) और एआई इंजीनियरिंग सर्विसेज लिमिटेड (एआईईएसएल) जैसी भारतीय कंपनियों के साथ क्रियान्वयन में बड़ी सहायता मिलेगी। भारत को एक क्षेत्रीय सैन्य विमानन रखरखाव केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिए उद्योग और नीतिगत सुधारों के बल पर अगले पांच वर्षों के दौरान इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिलेगा। भारत में रक्षा प्लेटफॉर्मों की बढ़ती भागीदारी और वैश्विक रक्षा मूल उपकरण विर्माताओं (ओईएम) का समर्थन करने वाले स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं को बढ़ावा मिलेगा। लॉकहीड मार्टिन के निदेशक निक स्मिथ ने इस क्षेत्र में अगले पांच वर्षों में भारत के लिए क्षेत्रीय स्थान साबित होने का दावा किया। एमआरओ क्षेत्र में होने वाले बड़े निवेश की उम्मीद है जो लाखों डॉलर का हो सकता है। भारत को राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नीति 2016, एमआरओ दिशानिर्देश 2021 और जीएसटी दरों में परिवर्तन करने की जरूरत है ताकि विस्तार में कोई रूकावट न आए। इसमें जो चुनौतियां हैं, उन्हें दूर करके भारत एक गरिमामय रक्षा एमआरओ क्षेत्र बनाने की दिशा में बढ़- चढ़ कर बढ़ रहा है।