फिच रेटिंग्स ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें 2025 में समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में भारत में पेट्रोलियम उत्पादों की मांग में 3 से 4 फीसदी तक की वृद्धि का अनुमान जताया गया है। इसके आधार पर, फिच ने दर्शाया है कि यह वृद्धि मुख्य रूप से उपभोक्ता, औद्योगिक और बुनियादी ढांचे की बढ़ती मांग के कारण होगी। रिपोर्ट के अनुसार, इस वृद्धि से भारत की जीडीपी में 6.4 फीसदी तक का इजाफा हो सकता है। डीजल और पेट्रोल की मांग के कारण, जो भारतीय पेट्रोलियम उत्पादों का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, पेट्रोलियम उत्पादों की खपत में यह वृद्धि होने का अनुमान है। फिच ने बताया कि वित्त वर्ष 25 के पहले सात महीनों में पेट्रोलियम उत्पादों की खपत में 3 फीसदी की वृद्धि हुई है, जबकि वित्त वर्ष 24 में यह वृद्धि 5 फीसदी रही थी। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारतीय तेल विपणन कंपनियां वित्तीय वर्ष 2025 में रिफाइनिंग मार्जिन पर दबाव का सामना कर सकती हैं। रिपोर्ट के अनुसार, रिफाइनिंग मार्जिन मध्य-चक्र स्तर से नीचे गिर सकते हैं, जो क्षेत्रीय स्तर पर अति आपूर्ति, कम उत्पाद दरों और कच्चे तेल की किस्मों के बीच मूल्य अंतर के कारण हो सकता है। अगले वर्ष में सुधार की संभावना है, जो क्षेत्रीय ओवरसप्लाई में कमी और ब्रेंट कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के साथ आ सकता है। फिच रेटिंग्स के अनुसार, भारतीय तेल विपणन कंपनियों को रिफाइनिंग और विपणन के बीच संतुलन बनाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन लंबी अवधि में स्थिति में सुधार के संकेत भी मिल रहे हैं। एचपीसीएल मित्तल एनर्जी लिमिटेड जैसी शुद्ध रिफाइनर कंपनियों को अपनी मार्केटिंग ऑपरेशंस की कमी के कारण अधिक लाभप्रदता की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। फिच की रिपोर्ट में पेट्रोलियम सेक्टर में भारत की वित्तीय मजबूती के संकेत छुपे हैं, जो आसपासी और अंतरराष्ट्रीय दौरों में एक गंभीर विषय है।