ब्रिटेन में केपीएमजी पर 216 करोड़ का जुर्माना ऑडिट में पूरी तरह नाकाम रहने के चलते हुई कार्रवाई
लंदन।
ब्रिटेन के लेखा नियामक ने बृहस्पतिवार को केपीएमजी पर कैरिलियन की ऑडिट में बुरी तरह नाकाम रहने पर रिकॉर्ड 216 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। जनवरी 2018 में अस्पतालों और अन्य बुनियादी ढांचे के निर्माण से जुड़ी कैरिलियन और इसकी खुदरा यूनिट बीएचएस के तबाह होने के बाद ऑडिटिंग बाजारों और मानकों की तीन सरकार समर्थित समीक्षाएं हुईं। फाइनेंशियल रिपोर्टिंग काउंसिल (एफआरसी) के मुताबिक, कैरिलियन के ऑडिट में कमियों की संख्या, सीमा और गंभीरता असाधारण थी, जिसकी वजह से केपीएमजी पर अब तक का सबसे बड़ा जुर्माना लगाया गया है। एफआरसी के सीईओ रिचर्ड मोरियार्टी के मुताबिक, कैरिलियन की बर्बादी का कर्मचारियों, पेंशनभोगियों, निवेशकों, अहम बुनियादी ढांचा परियोजनाओं, स्थानीय समुदायों और करदाताओं पर दर्दनाक प्रभाव पड़ा। जांच से यह निष्कर्ष निकला है कि यह एक किताबी नाकामयाबी का मामला है, जिसके बारे में सभी को जागरूक करना नजीर पेश करना जरूरी है। केपीएमजी की विफलताओं में कैरिलियन प्रबंधन को चुनौती न देना और निष्पक्षता खोना भी शामिल है। केपीएमजी ने कहा- ऑडिट पार्टनर नहीं था गंभीर एफआरसी ने कहा कि कई मौकों पर केपीएमजी के ऑडिट पार्टनर पीटर मीहान ने अपनी टीम से बिना समीक्षा किए ही वर्किंग पेपर की समीक्षा रिकॉर्ड करने के लिए कहा। मीहान अब केपीएमजी के साथ नहीं है। मीहान ने मामले की जांच में सहयोग करते हुए विफलताओं को स्वीकार किया, जिसके चलते उनपर छूट के बाद 3,50,000 पाउंड का जुर्माना लगाया गया है। पीडब्ल्यूसी, डेलॉइट और ईवाई के साथ दुनिया की चार सबसे बड़ी ऑडिटरों कंपनियों में शामिल केपीएमजी के लिए कुल जुर्माना 2013 2017 के कुछ हिस्सों तक कैरिलियन के ऑडिट में जांच के दो सेटों से जुड़ा है ।