बीते सप्ताह शेयर बाजार में तेजी के साथ देश की 10 शीर्ष कंपनियों में से आठ का बाजार पूंजीकरण (मार्केट कैप) संयुक्त रूप से 1,53,019.32 करोड़ रुपये बढ़ गया। भारतीय एयरटेल, इन्फोसिस और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज सर्वाधिक लाभ में रहीं । भारती एयरटेल का बाजार मूल्यांकन 47,194.86 करोड़ रुपये बढ़कर 9,04,587.12 करोड़ रुपये, इन्फोसिस का बाजार पूंजीकरण 33,611.37 करोड़ रुपये बढ़कर 8,06,880.50 करोड़ रुपये, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) का मूल्यांकन 31,784.9 करोड़ रुपये बढ़कर 16,46,899.17 करोड़ रुपये, आईसीआईसीआई बैंक का बाजार पूंजीकरण 18,734.3 करोड़ रुपये बढ़कर 8,66,374.41 करोड़ रुपये, रिलायंस इंडस्ट्रीज का बाजार पूंजीकरण (एमकैप) 13,396.42 करोड़ रुपये बढ़कर 20,43,107.10 करोड़ रुपये, एचडीएफसी बैंक का एमकैप 5,600.24 करोड़ रुपये बढ़कर 12,44,206.43 करोड़ रुपये, भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसीआई) का मूल्यांकन 2,340.25 करोड़ रुपये बढ़कर 6,73,390.88 करोड़ रुपये और भारतीय स्टेट बैंक का एमकैप 356.98 करोड़ रुपये बढ़कर 7,27,935.97 करोड़ रुपये पहुंच गया । हालांकि हिंदुस्तान यूनिलीवर का एमकैप 8,411.54 करोड़ रुपये घटकर 6,52,739.95 करोड़ रुपये और आईटीसी का एमकैप 4,776.48 करोड़ रुपये घटकर 6,27,587.76 करोड़ रुपये रहा। बाजार पूंजीकरण के लिहाज से रिलायंस इंडस्ट्रीज ने सबसे मूल्यवान कंपनी का दर्जा बरकरार रखा है। उसके बाद क्रमश: टीसीएस, एचडीएफसी बैंक, भारती एयरटेल, आईसीआईसीआई बैंक, इन्फोसिस, स्टेट बैंक, एलआईसी, हिंदुस्तान यूनिलीवर और आईटीसी का स्थान रहा।
एफपीआई ने शेयर बाजारों में अगस्त में 7,320 करोड़ का निवेश किया
निवेश जुलाई में 32,365 करोड़ रुपये और जून में 26,565 करोड़ रुपये से काफी कम है
नई दिल्ली। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने अगस्त में घरेलू शेयर बाजार में केवल 7,320 करोड़ रुपये का निवेश किया। शेयरों के उच्च मूल्यांकन और बैंक ऑफ जापान के ब्याज दर बढ़ाने के बाद येन कैरी ट्रेड यानी निम्न ब्याज दर वाले वाले देश से कर्ज लेकर दूसरे देश की परिसंपत्तियों में निवेश के समाप्त होने के बीच उन्होंने सतर्क रुख अपनाया है। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक यह निवेश जुलाई में 32,365 करोड़ रुपये और जून में 26,565 करोड़ रुपये से काफी कम है। बाजार के जानकारों ने कहा कि सितंबर में एफपीआई की घरेलू बाजार में रुचि बने रहने की संभावना है। हालांकि पूंजी प्रवाह को घरेलू राजनीतिक स्थिरता, आर्थिक संकेतक, वैश्विक ब्याज दर की स्थिति, बाजार मूल्यांकन, क्षेत्रीय प्राथमिकताओं और बॉन्ड बाजार के आकर्षण से दिशा मिलने की उम्मीद है। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक एफपीआई ने अगस्त में भारतीय इक्विटी में 7,320 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया। पिछले दो महीनों की तुलना में एफपीआई की रुचि कम होने का मुख्य कारण भारतीय बाजार
में उच्च मूल्यांकन है। वित्त वर्ष 2024-25 की अनुमानित कमाई से 20 गुना अधिक पर निफ्टी कारोबार कर रहा है। इसके साथ, भारत अब दुनिया का सबसे महंगा बाजार है। बाजार के जानकारों ने
कहा कि एफपीआई के पास बहुत सस्ते बाजारों में निवेश करने के अवसर हैं और इसीलिए, उनकी प्राथमिकता भारत के अलावा अन्य बाजार हैं। इसके अलावा, 24 अगस्त को येन कैरी ट्रेड के समाप्त होने से एफपीआई व्यवहार पर काफी असर पड़ा, जिससे घरेलू इक्विटी में भारी बिकवाली हुई। दिलचस्प बात यह है कि एफपीआई शेयर बाजार बाजार में बिकवाली कर रहे हैं, जहां मूल्यांकन अधिक माना जाता है। वे अपने निवेश को प्राथमिक बाजार में लगा रहे हैं, जहां अपेक्षाकृत मूल्यांकन कम है। इस बीच एफपीआई ने अगस्त में बॉन्ड बाजार में 17,960 करोड़ रुपये का निवेश किया। बाजार के विशेषज्ञों का मानना है कि वैश्विक बॉन्ड सूचकांकों में शामिल किये जाने, आकर्षक ब्याज दर, स्थिर आर्थिक वृद्धि और अनुकूल दीर्घकालिक दृष्टिकोण एफपीआई को बॉन्ड में निवेश करने के लिए प्रेरित करने वाले प्रमुख कारक रहे हैं।