
कट्टरपंथी धड़ों ने बांग्लादेश में रह रहे हिन्दुओं सहित अन्य अल्पसंख्यकों को निशाना बनाकर उनकी हत्याएं और लूटपाट की की। उसके बाद जब नोबेल पुरस्कार से सम्मानित और तथाकथित तौर पर प्रगतिशील एवं उदारवादी समझने जानेवाले मोहम्मद यूनुस के हाथ में सत्ता सौंप दी गई, उसके बाद भी हिन्दुओं और अल्पसंख्यकों को लक्षित करके निशाना बनाया गया। मोहम्मद यूनुस कट्टरपंथी ताकतों पर किसी प्रकार की लगाम नहीं लगा सके अपितु उसके हाथ की कठपुतली बन गए हैं। बांग्लादेश में हिन्दुओं के साथ किस प्रकार का व्यवहार किया जा रहा है, उसके सजीव चित्र निरंतर सामने आते ही रहते हैं, फिलहाल एक रिपोर्ट ने बांग्लादेश की यथास्थिति को सबके सामने पुनः ला दिया है। एक बार फिर बांग्लादेश में इस्लामिक कट्टरता एवं हिंसा की चर्चा प्रारंभ हुई है। बांग्लादेश हिंदू बुद्धिस्ट क्रिश्चियन यूनिटी काउंसिल की रिपोर्ट के मुताबिक, यहां सांप्रदायिक हिंसा में 32 हिंदुओं की जान चली गई। बलात्कार और महिलाओं से उत्पीड़न के 13 प्रकरण सामने आए। लगभग 133 मंदिर हमलों का शिकार हुए। ये घटनाएं 4 अगस्त 2024 से 31 दिसंबर 2024 के बीच हुईं। जब से बांग्लादेश में कट्टरपंथी खुलेआम हिंसा पर उतरे हैं, तब से आंकड़े देखे जाएं तो स्थिति और भयावह दिखायी देती है । यद्धपि यह आंकड़े इसलिए भी गंभीर हैं क्योंकि यह जो लक्षित हिंसा हुई है, वह मोहम्मद यूनुस की सरकार में हुई है। यह रिपोर्ट दो हिस्सों में बनायी गई है। काउंसिल के महासचिव मुनींद्र कुमार नाथ बताते हैं कि ” बांग्लादेश में तख्तापलट के दौरान 4 अगस्त से 8 अगस्त के बीच अल्पसंख्यकों पर जबरदस्त हमले हुए। हमने इनका डेटा दो हिस्सों में तैयार किया है” । रिपोर्ट में दिए आंकड़ों का विश्लेषण करें तो ध्यान आएगा कि पहले हिस्से में 4 अगस्त से लेकर 20 अगस्त 2024 के बीच 15 दिनों की घटनाएं हैं, जब बांग्लादेश में हिंसा चरम पर थी। देश में पुलिस व्यवस्था काम नहीं कर रही थी। वहीं, रिपोर्ट के दूसरे हिस्से में 20 अगस्त से 31 दिसंबर 2024 के बीच की घटनाएं हैं। ये तख्तापलट के बाद उस वक्त की है, जब नई अंतरिम सरकार सत्ता संभाल चुकी थी। यानी की मनमाफिक सत्ता मिलने के बाद भी उपद्रवियों का वास्तविक उद्देश्य पूरा नहीं हुआ। उदद्रवियों के निशाने पर तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनकी सरकार के अलावा गैर-इस्लामिक समुदाय भी थे। इसलिए सत्ता प्राप्ति के बाद इस्लामिक कट्टरपंथी धड़ों ने हिन्दुओं पर अपने हमले और तीव्र कर दिए । याद रखें कि रिपोर्ट में वही आंकड़े शामिल किए गए हैं, जिन्हें सरकार स्वीकार कर लिया और जिन्हें पुलिस ने अपने रिकॉर्ड में दर्ज किया है। इसलिए यह आंकड़े अंतिम नहीं है। भारत सरकार और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन सहित अन्य अंतरराष्ट्रीय समूहों को बांग्लादेश में हिन्दुओं के अत्याचारों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। बांग्लादेश में अराजक तत्वों पर लगाम लगे इसके लिए वहाँ की सरकार पर अंतरराष्ट्रीय स्तर से दबाव बनाया जाना चाहिए।
