शास्त्रों में भी लोहे की बर्तनों में खाना बनाने की सलाह दी जाती है। इसकी वजह ये है कि खाना पकाते वक्त कढ़ाई से लोहे का कुछ अंश भोजन में मिल जाता है जिससे खाने में पर्याप्त मात्रा में आयरन मिल जाता है। अगर शरीर में हीमोग्लोबीन की कमी हो तो लोहे के बर्तनों में बना खाना खाने से फायदा पहुंचता है। लेकिन लोहे के बर्तनों में खाना बनाते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। रोज इन बर्तनों में खाना बनाने से बचना चाहिए। हफ्ते में केवल एक या दो बार ही पकाएं। खट्टी या फिर एसिड वाली चीजों को इसमे पकाने से बचें। कढ़ी, रसम, सांभर या फिर ऐसी चीजें जिसमें टमाटर का प्रयोग होता हो। लोहे के बर्तनों को धोने के बाद तुंरत तेल की हल्की सी परत लगा दें जिससे जंग ना लगे। मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने से 100 प्रतिशत तक पोषक तत्व खाने में बने रहते हैं और इसके साथ मिट्टी के अपने गुण और पोषक तत्व भी इसमें समा जाते हैं, जिससे भोजन में मौजूद गुण कई गुना बढ़ जाते हैं। लंबे समय से लोग तांबे के बर्तन में पानी पीते आ रहे हैं। कई लोग रात को तांबे के बर्तन में पानी भरकर सुबह पीते हैं इससे पेट की सभी बीमारियां दूर होती हैं। स्टेनलेस स्टील के बर्तन अच्छे, सुरक्षित और किफायती विकल्प हैं। इन्हें साफ करना भी बहुत आसान है। लेकिन अगर सेहत को लेकर ज्यादा सजग हैं तो स्टील के बर्तन कम उपयोग में लाएं।