अक्सर लोग प्रदूषण और डस्ट से बचने के लिए मुंह पर स्कार्फ या रूमाल बांधते हैं। इसके पीछे हमारा उद्देश्य धुएं, धूल मिट्टी आदि को अंदर जाने से रोकना होता है। इस सब के बाद हम यह मान बैठते हैं कि प्रदूषण हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता लेकिन यह हमारी गलतफहमी होती है। वैज्ञानिकों के अध्ययन मुताबिक इस तरह के कपड़े कुछ हद तक ही प्रदूषण से बचाव करते हैं, जबकि इनकी तुलना में बाजार में मिलने वाले मास्क कहीं बेहतर होते हैं। शोधकर्ता रिचर्ड पेल्टियर के अनुसार प्रदूषण से बचाव के लिए मास्क पहनने वाले लोग अपने आपको सुरक्षित महसूस करते हैं, लेकिन चिंता इस बात की है कि यदि वे किसी डीजल ट्रक के सामने खड़े हो जाएं तो क्या वे सुरक्षित हैं। शोधकर्ताओं के दल ने नेपाल में चार प्रकार के मास्क का परीक्षण किया जिनमें कपड़े से निर्मित मास्क का प्रदर्शन बेहतर रहा और यह 80-90 फीसदी कृत्रिम कणों तथा डीजल गाड़ियों से निकलने वाले लगभग 57 फीसदी हानिकारक कणों को दूर रखने में सक्षम रहा। वहीं, मास्क के रूप में इस्तेमाल में लाया गया रुमाल या स्कार्फ 2.5 माइक्रो मीटर से कम आकार के कणों से बचाने में बेहद सीमित तौर पर लाभकारी साबित हुआ, जो बड़े कणों की तुलना में अधिक हानिकारक है, क्योंकि वे फेफड़े की गहराई तक पहुंच जाते हैं। अध्ययन यह दर्शाता है कि लोगों को यह पता होना चाहिए कि रुमाल या स्कार्फ बेहद सीमित रूप से उनका बचाव करते हैं। लेकिन बात तो यही है कि कुछ नहीं से अच्छा कुछ तो है।