पूर्वोत्तर के विकास और समृद्धि से संभव होगा मिशन 2047 : अभाविप

पूर्वोत्तर के विकास और समृद्धि से संभव होगा मिशन 2047 : अभाविप
पूर्वोत्तर के विकास और समृद्धि से संभव होगा मिशन 2047 : अभाविप

गुवाहाटी (हि.स.) 19, 10 और 11 मार्च को नई दिल्ली में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) द्वारा राष्ट्रीय छात्र संसद का आयोजन किया गया था। 9 मार्च को जनजातीय छात्र संसद, 10 मार्च को छात्रा संसद और 11 मार्च को उत्तर-पूर्व छात्र और युवा संसद आयोजित की गई। तीन दिवसीय इस कार्यक्रम के अंतिम दिन आयोजित उत्तर-पूर्व छात्र और युवा संसद में उत्तर-पूर्व के कई छात्र और युवा संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया और उत्तर-पूर्व के विकास पर विस्तृत रूप से चर्चा की। सोमवार को गुवाहाटी के दिसपुर प्रेस क्लब में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित की गई। अभाविप के राष्ट्रीय सचिव कमलेश सिंह ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए भारत को एक विकसित राष्ट्र के रूप में उन्नत करने के लिए उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के विकास को सर्वोपरि बताया। आज के इस सम्मेलन में अभाविप मेघालय के सचिव टेंकू मराक, अरुणाचल प्रदेश के सचिव बिंकी यादेर, नगालैंड से राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य काइना आओमी विशेष रूप से उपस्थित रहे। कमलेश सिंह ने दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम की जानकारी देते हुए कहा कि विशेष रूप से उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में स्थित राष्ट्रीय शैक्षिक संस्थानों में स्थानीय लोगों (छात्र/ शिक्षक/कर्मचारी) की भर्ती / संस्थापन पर चर्चा की गई। उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के प्राथमिक स्तर से शिक्षा क्षेत्र के अंतर्गत समन्वय सुधारने के विषय पर भी प्रतिनिधियों ने जोर दिया और शिक्षा संस्थानों में छात्रों की संख्या के अनुपात में शिक्षकों की संख्या, शिक्षक प्रशिक्षण आदि के बारे में चर्चा की। उत्तर- पूर्वी क्षेत्र के साथ कई विदेशी देशों की सीमाएं जुड़ी होने के कारण, इन सीमाओं पर विभिन्न अवैध गतिविधियों के होने की संभावना रहती है। इसलिए इस संसद में प्रतिनिधियों ने सीमा सुरक्षा के मुद्दे पर गहरी चर्चा की। विशेष रूप से खुले सीमाओं को जल्द से जल्द फेंसिंग कर बंद करने के विषय पर चर्चा की गई। इसके अलावा शैक्षिक संस्थानों के कैंपसों को नशीली सामग्री से मुक्त रखने के बारे में भी चर्चा की गई। इसके अलावा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में उल्लेखित विषयों के अनुसार यह चर्चा की गई कि हम अपनी मातृभाषाओं के प्रचार को बढ़ावा देकर अपने शिक्षा प्रणाली में उन्हें कैसे सुरक्षित रख सकते हैं। विभिन्न परीक्षा के समय परीक्षा केंद्रों की कमी के कारण उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के छात्र-छात्राओं को पर्याप्त समस्याओं का सामना करना पड़ता है, इस मुद्दे पर संसद में उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में पर्याप्त परीक्षा केंद्र स्थापित करने और उनमें सभी आवश्यक सुविधाओं की उपलब्धता की मांग की गई।

पूर्वोत्तर के विकास और समृद्धि से संभव होगा मिशन 2047 : अभाविप
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