राजधानी के मालीगांव एवं पांडू के विभिन्न क्षेत्रों में देवशिल्पी भगवान विश्वकर्मा एवं गणेश पूजा धूमधाम से संपन्न हुई। गणेश एवं विश्वकर्मा पूजा के दौरान जगह-जगह सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। यह उत्सव विश्वकर्मा और गणेश प्रतिमा के विसर्जन के साथ संपन्न हो गया । उल्लेखनीय है कि पांडू घाट में विभिन्न जगह से पूजा समितियां मूर्तियों को विसर्जित करते हैं। लेकिन कुछ पूजा समितियां मूर्तियों को पानी में विसर्जित करने की बदले मूर्तियों को पांडू घाट पर और सड़कों पर छोड़ दिया है। अब तक सौ से अधिक छोटी-बड़ी मूर्तियां पांडू घाट के किनारे और सड़क के किनारे पड़ी हुई हैं। किसी भी सरकारी या निजी संस्था ने अभी तक इन मूर्तियों के उचित विसर्जन की व्यवस्था नहीं की है। स्थानीय नागरिकों की शिकायत है कि लोग हर साल लाखों रुपये खर्च करने के बाद भी मूर्तियां नदी किनारे रख देते हैं। इससे पर्यावरण प्रदूषण, नदी तट की सुंदरता खराब होने और धर्म तथा संस्कृति की उपेक्षा का खतरा है। नागरिकों और स्थानीय निवासियों ने पूजा समितियों से मूर्तियों का सही तरीके से विसर्जित करने की मांग की है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों और पर्यावरण की रक्षा हो सके।