पटना, (ईएमएस)। एक बार फिर देश की राजनीति में बड़ा उलटफेर होने की आशंका बन रही है। दर- असल तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद यह स्थिति उत्पन्न हो सकती है। विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो अगर बीजेपी हरियाणा और महाराष्ट्र चुनाव हार जाती है तो विपक्ष के पास अपनी ताकत नए तरीके से मजबूत करने का मौका होगा। अगर झारखंड में सत्ता में आने की बीजेपी की कोशिशें सफल नहीं हुईं तो विपक्ष की ताकत बढ़ेगी। ऐसे में बीजेपी के साथ फिलहाल जो पार्टियां सत्ता में हैं, जिनकी विचारधारा अलग है, लेकिन जो नेता न चाहते हुए भी सत्ता में बैठे हैं, वो बीजेपी को झटका दे सकते हैं। ऐसी पार्टियों में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू), लोक जनशक्ति पार्टी-आर तथा तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) शामिल हैं। इन तीनों पार्टियों के समर्थन से केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए स- रकार चल रही है। समय-समय पर इन पार्टियों ने बीजेपी की छुट्टी भी कर दी है। टीडीपी ने पहले अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार से समर्थन वापस ले लिया था । 2014 में टीडीपी ने बीजेपी से हाथ मिला लिया था, लेकिन 2019 में वह बीजेपी की कट्टर विरोधी बन गई। टीडीपी फिलहाल बीजेपी के साथ है। एलजेपी-आर भी फिलहाल बीजेपी की सहयोगी है । लेकिन, उसके नेता चिराग पासवान की भूमिका बदलती दिख रही है। जेडीयू नेता नीतीश कुमार को पलटूराम के नाम से जाना जाता है, इसलिए वह कभी भी पलट- वार कर सकते हैं। ऐसे में इंडिया अलायंस का पहला निशाना बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही रहने वाले हैं। इंडिया अलायंस पहले ही उन्हें प्रधानमंत्री पद की पेशकश कर चुकी है। ये बात केसी त्यागी ने तब कही थी जब वो जेडीयू के प्रवक्ता थे। हालांकि, इसके बाद नीतीश कुमार ने चुप्पी साध ली और बीजेपी के साथ चले गए। अभी तक उनकी ओर से इस संबंध में कोई संकेत नहीं मिला है, लेकिन जिस तरह से के लोग उन्हें प्रधानमंत्री पद का दावेदार जदयू बता रहे हैं, उससे ऐसा लग रहा है। कि मौका मिलने पर वह पीछे नहीं हटेंगे। इसका एक और बड़ा कारण यह है कि जब 2020 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार को चिराग पासवान के कारण बड़ा झटका लगा, तो उन्होंने मुख्यमंत्री पद स्वीकार करने से इनकार कर दिया था क्योंकि वह 43 विधायकों वाली पार्टी के नेता थे। हालाँकि, उन्होंने 24 घंटे के भीतर अपना मन बदल लिया। इसी तरह अगर सही मायने में नीतीश कुमार को इंडिया अलायंस की ओर से प्रधानमंत्री बनने का ऑफर मिलता है तो वे इससे इनकार नहीं कर पाएंगे। लेकिन सूत्रों की मानें तो ऐसा वे तब करेंगे जब बीजेपी तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव में हार जाएगी।