सिरोही (हिंस)। ब्रहमाकुमारीज के मुख्यालय शांतिवन में चल रहे चार दिवसीय वैश्विक शिखर सम्मेलन का सोमवार को समापन हो गया। इसमें भारत सहित विश्व के 15 से अधिक देशों की पांच हजार से अधिक जानी-मानी हस्तियों ने भाग लिया । कला, धर्म, संस्कृति, अध्यात्म, राजनीति, विज्ञान, चिकित्सा और शिक्षा सहित अन्य क्षेत्रों के विद्वानों ने आध्यात्मिकता द्वारा स्वच्छ एवं स्वस्थ समाज विषय पर अलग-अलग सत्रों में विचार रखे। सम्मेलन के दौरान दस सत्र आयोजित किए गए। सभी ने चिंतन- मंथन कर निष्कर्ष निकाला कि यदि समाज, राष्ट्र और विश्व को स्वस्थ, सुखी, संपन्न बनाना है, मानसिक-शारीरिक – आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ बनाना है तो एकमात्र उपाय अध्यात्म ही है। जीवन में आध्यात्मिकता के समावेश के बिना मानव जाति का कल्याण संभव नहीं है। अध्यात्म से ही विश्व शांति आएगी। अध्यात्म भारत की धरोहर और संस्कृति है। समापन सत्र में मध्य प्रदेश के उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला ने कहा कि यदि देश का समुचित विकास करना है तो लोगों को सनातन संस्कृति से जोड़ना पड़ेगा । हमें समाज और देश के लिए समर्पित लोगों की फौज खड़ी करनी पड़ेगी। जब जाकर हम उस विकास को संभाल पाएंगे। तब यह सस्टेनेबल डवलपमेंट कहलाएगा। इसके लिए हमें मनुष्य के अंदर की आध्यात्मिक शक्ति को जागृत करना पड़ेगा। उसे सनातन धर्म से जोड़ना पड़ेगा। हमारी जो सांस्कृतिक विरासत और सनातन है उसे पुनर्जीवित – पुनर्स्थापित करने की लहर पूरे देश में चल रही है । यह भी हमारे देश के लिए अच्छा संकेत है। आज लोग सनातन को समझने लगे हैं। सनातन की ओर जुड़ने लगे हैं। सनातन और अध्यात् ही हमारी आत्मा को परमात्मा से जोड़ता है। जब आत्मा, परमात्मा से जुड़ती है तो हमारे अंदर मानवीय गुण विकसित होते हैं। हम वसुधैव कुटुम्बकम् के मंत्र पर चलते हैं । हमें सभी के कल्याण के बारे में सोचना है। ये पवित्र भाव, ईश्वर भाव हैं जो मानव जाति के कल्याण के लिए हैं। उन्होंने कहा कि आज अयोध्या में भगवान राम का मंदिर, उसमें भी विवाद है कि बनना चाहिए या नहीं बनना चाहिए। क्यों नहीं बनना चाहिए। जहां भगवान राम का जन्म हुआ है, वहां मंदिर नहीं बनेगा तो क्या मक्का और मदीना में बनेगा। लेकिन इसे लेकर भी विवाद हम लोगों ने अपने देश में देखा है। क्या ये गलत दिशा में ले जाने वाले लोगों का षड्यंत्र नहीं था। उपमुख्यमंत्री शुक्ला ने कहा कि रुस और यूक्रेन की लड़ाई चल रही है। मिसाइलें दागी जा रही हैं। हजारों की संख्या में लोग मौत की नींद में सुलाए जा रहे हैं। मानवता के सामने गंभीर खतरा पैदा हो गया है। इस खतरे का सामने कैसे होगा, यह यक्ष प्रश्न है। ऐसे समय में ब्रह्माकुमारीज ने अपनी सामाजिक और नैतिक जिम्मेदारी को समझते हुए ग्लोबल समिट का आयोजन किया है। यह प्रासंगिक है, समय की मांग है । यदि दुनिया इस बारे में विचार नहीं करेगी तो आने वाली पीढ़ी इसका दोष भुगतेगी और इसका दोष वर्तमान पीढ़ी, हम लोगों पर आएगा कि हम लोगों ने समाज को जागृत नहीं किया । हमने शांति का पाठ नहीं पढ़ाया। यदि विज्ञान और अध्यात्म का सदुपयोग होगा तो मानव के लिए सभी प्रकार की सुख- शांति और खुशी जीवन में मिलेगी। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत बहुत तेजी के साथ आगे बढ़ रहा है। कुछ ही वर्षों में जर्मनी और जापान हमसे पीछे हो जाएंगे और हम उनसे आगे निकल जाएंगे। वर्ष 2027 में जब आजादी के 100 वर्ष पूरे होंगे तो चाइना और अमेरिका भी हमसे पीछे हो जाएंगे और भारत फिर से विश्व गुरु बनके दुनिया का नेतृत्व करेगा। ऐसे सपनों के भारत के निर्माण का महायज्ञ हमारे देश में चल रहा है। हमारा भविष्य बहुत बेहतर है। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि 1937 से लेकर आज तक ब्रह्माकुमारीज संगठन लगातार आगे बढ़ता जा रहा है। रास्ते से भटके हुए लोगों को रास्ते पर लाने का काम ब्रह्माकुमारीज जैसे संगठन कर रहे हैं। लोग आपको आशा भरी नजरों से देख रहे हैं। अध्यात्म मनुष्य की आत्मा को परमात्मा से जोड़ता है। यदि आत्मा का शुद्धिकरण नहीं होगा तो न मनुष्य स्वयं सही रास्ते पर चलेगा, न समाज को सही रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित कर सकेगा । ब्रह्माकुमारीज जैसे संस्थान देश को खुशहाली के लिए हैं। आज मैं सुबह 3.30 बजे उठ गया था और 45 मिनट मेडिटेशन किया। मैं प्रयास करता हूं कि जब गाड़ी में चलता हूं तो आंख बंद करके मेडिटेशन कर लूं। शरीर की बहुत व्याधियां भी मेडिटेशन से दूर हो जाती हैं।