वाराणसी (हिंस) । दीपावली पर्व पर गुरूवार को लमही स्थित सुभाष भवन में मुस्लिम महिलाओं ने भगवान राम की आरती उतारी। मुस्लिम महिला फाउंडेशन एवं विशाल भारत संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में जुटी मुस्लिम महिलाओं ने दीपावली के नाम पर नफरत फैलाने वालों को बड़ा संदेश भी दिया। इसके पहले मुस्लिम महिलाओं ने अपने हाथों से रंगोली बनाई । भगवान श्रीराम की प्रतिमा को पुष्पों से सजाया और उर्दू में लिखी राम आरती का गायन करते हुए भगवान की आरती उतारी। इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि पातालपुरी मठ के महंत बालक दास ने कहा कि हर पंथ और मजहब अपने सिद्धांतों और नियमों में इतने कड़े हैं कि मानवता का पाठ ही भूल गए। उन्होंने अपने तरीके से न रहने वालों को अस्वीकार कर दिया, लेकिन भगवान राम ने सबको हृदय से लगाया और सबको स्वीकार किया । इसलिए प्रत्येक देश को अपने यहां राम के महान आदर्शों को अपना कर शांति स्थापित करें और नैतिक बल पर मानवता की रक्षा करें। मुस्लिम महिलाओं का यह प्रयास दिलों को जोड़ने वाला है। मुस्लिम महिला फाउंडेशन की राष्ट्रीय अध्यक्ष नाजनीन अंसारी ने कहा कि शांति स्थापना के लिए अनिवार्य शर्त भगवान श्रीराम के आदर्श और रामराज्य हैं। रामराज्य की परिकल्पना लोगों को भेदभाव से मुक्त कर सकती है और सबको गले से लगाकर स्वीकार कर सकती है। इजराइल और फिलिस्तीन दोनों को भगवान श्रीराम के रास्ते पर चलना चाहिए। यदि भारत का मुसलमान सबके बीच में प्रिय होना चाहता है तो अपने घरों में राम के चरित्र की शिक्षा दे । मजहब केवल अलग है लेकिन भारत का हर मुसलमान पूर्वजों, परम्पराओं और संस्कृति से एक ही है। भगवान राम ही पूरी दुनियां के पूर्वज हैं । उनके रास्ते पर चलकर ही दिलों में प्रेम और भावना विकसित होगी । विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजीव ने कहा कि हिंदू और मुसलमानों के दिलों के बीच प्रेम और सद्भावना का रामसेतु बनाना होगा। प्रभु श्रीराम को लेकर दुनियां के लोग विचार कर रहे हैं । अपने परिवार और देश को बचाने के लिए राम नाम का ही सहारा है । प्रेम, शांति और रिश्तों को मजबूत करने के लिए बचपन से राम के चरित्र की शिक्षा दे ताकि बच्चे भी अपने माता-पिता और बुजुर्गों की सेवा को अपना कर्तव्य समझें । राम के सिवा दुनियां के पास अब कोई रास्ता नहीं बचा है। हिंदू मुस्लिम संवाद केंद्र की चेयरपर्सन डॉ. नजमा परवीन ने कहा कि नफरत को खत्म करने वाली संस्कृति सिर्फ भारत की संस्कृति है । क्योंकि यहां की आत्मा में राम बसते हैं। जो देश या व्यक्ति राम से दूर होगा उसकी दुर्गति निश्चित है । कार्यक्रम में डॉ. अर्चना भारतवंशी, डॉ. मृदुला जायसवाल, आभा भारतवंशी, खुर्शीदा बानो, रौशनजहां, नूरजहां, हफिजुननिशा, अजीजुननिशा, सायना, नरगिस, रुकैया बीबी, जुलेखा बीबी आदि ने भागीदारी की।