हाईकोर्ट ने दो याचिकाओं पर सुनवाई स्थगित कर दी। जिनमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में आगे सर्वेक्षण करने का निर्देश देने के लिए समान राहत की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने 12 दिसंबर को अंतरिम आदेश दिया, जिसमें अदालतों को सर्वेक्षण के आदेश सहित कोई भी प्रभावी अंतरिम या अंतिम आदेश पारित करने से रोक दिया गया है। जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए इस मामले को 24 फरवरी तक सुनवाई स्थगित कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट पूजा स्थल अधिनियम 1991 की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाने वाली याचिकाओं के एक समूह की सुनवाई करेगा, जो पूजा स्थलों के धार्मिक चरित्र को 15 अगस्त, 1947 की स्थिति से बदलने पर रोक लगाता है। राखी सिंह द्वारा दायर पहली याचिका में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के भीतर वजूखाना क्षेत्र का एएसआई सर्वेक्षण करने का अनुरोध किया गया, जबकि भगवान विश्वेश्वर द्वारा दायर दूसरी याचिका, जिसका प्रतिनिधित्व उनके अगले मित्र एडवोकेट विजय शंकर रस्तोगी कर रहे हैं, का दावा है कि स्वयंभू ज्योतिर्लिंग ज्ञानवापी मस्जिद के मुख्य गुंबद के नीचे स्थित है। दूसरी याचिका एडवोकेट सौरभ तिवारी और विकास कुमार के माध्यम से दायर की गई है, जिसमें वाराणसी जिला जज के आदेश दिनांक 21 अक्टूबर, 2023 को चुनौती दी गई है । इसमें एएसआई को वजूखाना क्षेत्र का सर्वेक्षण करने का निर्देश देने से इनकार किया गया। एडवोकेट अजय कुमार सिंह के माध्यम से दायर दूसरी याचिका में वाराणसी कोर्ट के अक्तूबर 2024 के आदेश को चुनौती दी गई है। जिसमें संपूर्ण ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का अतिरिक्त (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) सर्वेक्षण करने की मांग करने वाली याचिका खारिज की गई। जिसमें मस्जिद के केंद्रीय गुंबद के नीचे के क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया। जिनका एएसआई ने पहले से सर्वेक्षण नहीं किया। दोनों याचिकाएं प्रभावी रूप से परिसर के उन हिस्सों का एएसआई सर्वेक्षण करने की मांग करती हैं, जहां अभी तक सर्वेक्षण नहीं किया गया।