जिरीबाम में फिर भड़की हिंसा, चूड़ाचांदपुर कांगपोकपी में जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित

इंफाल। मणिपुर में जिरीबाम जिले के एक गांव में शनिवार को कुछ संदिग्ध उग्रवादियों ने गोलीबारी की। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुछ हथियारबंद लोगों ने पास की पहाड़ियों और आसपास के घने जंगलों से मैतेई आबादी वाले गांव मोंगबुंग पर अंधाधुंध गोलीबारी की। जिसके बाद गांव के स्वयंसेवकों की ओर से भी जवाबी कार्रवाई में गोलीबारी की गई है। मणिपुर पुलिस ने बताया कि जिरीबाम जिले में शनिवार को कुछ संदिग्ध उपद्रवियों ने सुबह करीब 11.30 बजे मोंगबुंग मैतेई गांव में अंधाधुंध फायरिंग की। बताया जा रहा है कि, दोनों पक्षों की ओर से भयंकर गोलीबारी की जा रही है। इस गोलीवबारी को देखते हुए महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया जा रहा है। दूसरी तरफ चुराचांदपुर और कांगपोकपी जिलों में आज बंद का दूसरा दिन है। इसके कारण बाजार बंद रहे। जिले में सड़कें वीरान दिखीं। अधिकारियों ने बताया कि कुकी समुदाय की ओर से दोनों जिलों में रविवार, 29 सितंबर तक बंद का आह्वान किया है। उधर मणिपुर के तीन जिलों से पुलिस और असम राइफल्स की एक संयुक्त टीम को हथियार और गोला-बारूद बरामद हुए हैं। पुलिस की ओर से शनिवार को जारी किए गए बयान में यह जानकारी दी गई। बयान में बताया गया कि कांगपोकपी जिले के लोइचिंग क्षेत्र से दो 303 राइफल, एक 9 एमएम पिस्तौल, मैगजीन, कारतूस, चार हथगोले, दो डेटोनेटर, एक देसी मोर्टार और एक इम्प्रोवाइज्ड मोर्टार बरामद हुए। मणिपुर पुलिस, बीएसएफ और सीआरपीएफ के एक और सर्च ऑपरेशन में चुराचांदपुर जिले के गोथोल गांव से इम्प्रोवाइज्ड मोर्टार जब्त किए गए थे, जिन्हें स्थानीय रूप से पंपी के नाम से जानते हैं। इसके अलावा, थौबल जिले के फैनोम पर्वतीय क्षेत्र से एचई – 36 हथगोले, दो पंपी, तीन डेटोनेटर के साथ स्टन ग्रेनेड, स्टिंगर ग्रेनेड और आंसू गैस के गोले बरामद किए गए। सुरक्षाबलों ने इन इलाकों पर शुक्रवार को तलाशी अभियान के दौरान ये हथियार बरामद किए थे। इस मामले में अभी किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है। मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच पिछले साल मई के महीने से हिंसा जारी है, जिसकी वजह से राज्य की स्थिति बहुत खराब चल रही है। दोनों समुदायों में समय-समय पर विवाद होता रहता है। फिलहाल राज्य में हो रही हिंसा में 200 से अधिक लोगों की जान चली गई है और हजारों की संख्या में लोग बेघर भी हो गए हैं। लोगों के घरों और धार्मिक स्थलों में तोड़-फोड़ जैसे कई मामले भी सामने आए हैं। हिंसा ज्यादा बढ़ने से प्रदेश में इंटरनेट सेवाओं को भी रोक दिया गया था | मणिपुर में हो रही जातीय हिंसा को बहुत से सामाजिक मुद्दों ने बढ़ावा दिया है। अंग्रेजों ने मणिपुर को दो भागों, पहाड़ियों और घाटी में बांटा था और दोनों को अलग-अलग प्रशासन के अधीन रखा था। यह बंटवारा दोनों समुदायों के बीच तनाव का सबसे बड़ा कारण रहा है। इसके अलावा संसाधनों का लाभ, आर्थिक लाभ, सरकारी नौकरी, आरक्षण जैसे कई विषय है जो इस हिंसा का कारण बनें।

जिरीबाम में फिर भड़की हिंसा, चूड़ाचांदपुर कांगपोकपी में जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित
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