ग्वालपाड़ा। असम के ग्वालपाड़ा जिले में बंदरमाथा रिजर्व वन के एक हिस्से पर अवैध रूप से कब्जा करने वाले लगभग 450 परिवारों को राज्य प्राधिकारियों द्वारा चलाए गए अभियान के दौरान बेदखल कर दिया गया है। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। असम के ग्वालपाड़ा जिले में आरक्षित वन क्षेत्र में बनाए गए कई अवैध ढांचों को सोमवार को बुलडोजर और अन्य मिट्टी हटाने वाले वाहनों की मदद से ढहा दिया गया। असम के ग्वालपाड़ा जिले में आरक्षित वन क्षेत्र में बनाए गए कई अवैध ढांचों को सोमवार को बुलडोजर और अन्य मिट्टी हटाने वाले वाहनों की मदद से ढहा दिया गया। ग्वालपाड़ा प्रभागीय वन अधिकारी तेजस मारिस्वामी ने कहा कि प्राधिकारियों ने इस महीने की शुरुआत में आरक्षित वन क्षेत्र में अवैध रूप से रह रहे लोगों को क्षेत्र छोड़ने के लिए नोटिस जारी किया था, जिसके बाद लगभग सभी लोग वहां से चले गए। वहां लगभग 2,000 लोग रहते थे और कई वर्षों से वहां रह रहे थे तथा उन्होंने लगभग 55 हेक्टेयर वन भूमि पर अतिक्रमण कर लिया था । सोमवार को इलाके में बने कई अवैध ढांचों, जिनमें घर, मस्जिद और दूसरी इमारतें शामिल थीं, को बुलडोजर और दूसरे मिट्टी हटाने वाले वाहनों की मदद से ढहा दिया गया। किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए इलाके में कई सुरक्षा और वनकर्मी मौजूद थे। अधिकारियों ने बताया कि गौहाटी उच्च न्यायालय के आदेश के बाद यह कार्रवाई की गई है, जिसमें ग्वालपाड़ा के सभी संरक्षित वन क्षेत्रों को अतिक्रमण से मुक्त करने का आदेश दिया गया था। जिले के जंगल मानव- हाथी संघर्ष के लिए हॉटस्पॉट में से एक हैं। मारिस्वामी ने कहा कि अवैध निर्माणों को हटाने और बेदखल करने का काम बुधवार को भी जारी रहेगा। एक बार जब क्षेत्र खाली हो जाएगा, तो 118 हेक्टेयर में फैले आरक्षित वन में बड़े पैमाने पर पौधारोपण अभियान चलाया जाएगा। इस बीच, कामरूप (महानगर) जिले के सोनापुर राजस्व अंचल के कचुटली क्षेत्र में आदिवासियों के लिए आरक्षित भूमि पर अतिक्रमण करने वाले 150 परिवारों को मंगलवार को बेदखल कर दिया गया। इस महीने की शुरुआत में बेदखली अभियान के पहले चरण के दौरान इस इलाके में हिंसक घटनाएं हुई थीं। 12 सितंबर को जब यहां बेदखली अभियान चल रहा था, तब अतिक्रमणकारियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच झड़प में दो लोगों की मौत हो गई थी और पुलिस और प्रशासनिक कर्मियों समेत 35 अन्य घायल हो गए थे ।