गुवाहाटी। गौहाटी उच्च न्यायालय ने असम के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को निर्देश दिया है कि वे अपने अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सभी पुलिस थानों को निर्देश जारी करें कि भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 106(2) के तहत लापरवाही से गाड़ी चलाने के कारण हुई मौत से संबंधित कोई भी मामला दर्ज न किया जाए। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यह प्रावधान, जो लापरवाही से गाड़ी चलाने के कारण गैर-इरादतन हत्या से संबंधित है, अभी तक लागू नहीं हुआ है। बीएनएस की धारा 106 ( 2 ) में प्रावधान है कि यदि कोई व्यक्ति तेज गति से और लापरवाही से गाड़ी चलाकर किसी व्यक्ति की मौत का कारण बनता है, जो कि गैर इरादतन हत्या नहीं है, और बाद में घटना की सूचना पुलिस अधिकारी या मजिस्ट्रेट को नहीं देता है, तो उसे जुर्माने के साथ-साथ दस साल तक की कैद हो सकती है। हालांकि, अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि यह प्रावधान अभी तक लागू नहीं हुआ है। यह टिप्पणी धारा 106 की उपधारा (2) की वैधता को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका (पीआईएल) की सुनवाई के दौरान आई, जिसके बारे में याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि किसी व्यक्ति को खुद के खिलाफ गवाह बनने के लिए मजबूर करके संविधान का उल्लंघन किया गया है। अदालत ने कहा कि चूंकि प्रावधान लागू नहीं किया गया है, इसलिए चुनौती समय से पहले है। ऐसे में, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 20 (3) के तहत इसे असंवैधानिक घोषित करने का सवाल इस स्तर पर नहीं उठता। अदालत ने आगे स्पष्ट किया कि यदि पुलिस इस प्रावधान के तहत मामला दर्ज करती है, तो व्यक्ति सक्षम अदालत में जाकर कानूनी उपाय अपना सकता है।