औषधीय गुणों का भंडार है सदाबहार

औषधीय गुणों का भंडार है सदाबहार
औषधीय गुणों का भंडार है सदाबहार

कैंसर ऐसी बीमारी है जिसका पता सामान्यत- रोग बढ़ने के बाद ही चल पाता है। इस स्थिति में सर्जरी ही बीमारी के विकल्प के रूप में सामने आती है। आयुर्वेद शोधकर्ताओं ने सफेद फूल वाले सदाबहार पौधे को इस बीमारी में प्रभावी माना है।

इस तरह हैं कैंसर में लाभकारी

ये पत्तियां कैंसररोधी हैं। ये रोग बढ़ाने वाली कोशिकाओं के विकास को रोकती हैं साथ ही इस दौरान क्षतिग्रस्त हो गई कोशिकाओं को फिर से सेहतमंद बनाने का काम करती हैं। यदि इसकी पत्तियों से बने रस को कैंसर की पहली स्टेज वाले मरीज को दिया जाए तो उसके रोग के बढ़ने की आशंका कम हो जाती है। वहीं दूसरी व आखिरी स्टेज के दौरान इसके प्रयोग से मरीज की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होकर उसके जीवित रहने की अवधि बढ़ सकती है।

ध्यान रहे

कड़वा स्वाद होने के कारण इसे खाली पेट लेने से उल्टी हो सकती है। इसलिए इसका प्रयोग कुछ खाकर ही करें। छोटे बच्चों को इसके रस में शक्कर या चूर्ण में गुड़ मिलाकर गोलियों के रूप में दिया जा सकता है।

अन्य रोगों में भी प्रभावी

डायबिटीज के मरीजों में ये एंटीडायबिटिक का काम करती हैं। ये रक्त में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित रखती हैं। इनका सेवन स्वस्थ लोग भी कर सकते हैं। इससे उनका प्रतिरोधक तंत्र मजबूत होता है। सामान्य तासीर का होने की वजह से इसकी पत्तियों का प्रयोग हृदय व हाई बीपी के मरीज भी कर सकते हैं।

प्रयोग का तरीका

इसके पत्तों को सुखाकर चूर्ण बना लें व रोजाना नाश्ते के बाद आधा ग्राम चूर्ण को सादा पानी से लें। इसके अलावा रस को भी प्रयोग में लाया जा सकता है।

रोजाना पांच ताजा पत्तियों को पानी के साथ पीसकर बारीक कपड़े से छानकर रस निकालें व इसे भोजन करने के बाद पिएं।

औषधीय गुणों का भंडार है सदाबहार
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