विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने सितंबर में अब तक घरेलू शेयर बाजारों में 57,359 करोड़ रुपये का निवेश किया है, जो उनके निवेश का नौ माह का उच्चस्तर है । अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व द्वारा प्रमुख ब्याज दरों में 0.50 प्रतिशत की कटौती के बाद एफपीआई का भारतीय बाजार में निवेश लगातार बढ़ रहा है। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार इस साल एफपीआई का भारतीय शेयरों में निवेश एक लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया है। एक शोध विश्लेषक कंपनी ने कहा कि आगे चलकर एफपीआई का प्रवाह मजबूत बना रहेगा। वैश्विक स्तर पर ब्याज दरों में कटौती तथा भारत की मजबूत बुनियाद की वजह से एफपीआई भारतीय बाजार पर दांव लगा रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक के मुद्रास्फीति प्रबंधन तथा तरलता से संबंधित फैसले इस रफ्तार को कायम रखने के लिए महत्वपूर्ण होंगे। आंकड़ों के अनुसार एफपीआई ने 27 सितंबर तक शेयरों में 57,359 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया है। अभी इस महीने का एक कारोबारी सत्र बचा है। यह दिसंबर, 2023 के बाद सबसे अधिक शुद्ध प्रवाह है। उस समय एफपीआई ने शेयरों में 66,135 करोड़ रुपये का निवेश किया था । जून से एफपीआई लगातार शुद्ध लिवाल बने हुए हैं। अप्रैल-मई में उन्होंने शेयरों से 34,252 करोड़ रुपये निकाले थे। कुल मिलाकर इस साल जनवरी, अप्रैल और मई को छोड़कर अन्य महीनों में एफपीआई शुद्ध खरीदार रहे हैं। जानकारों ने कहा कि कई वजहों ने भारतीय शेयर बाजारों में एफपीआई के प्रवाह में उछाल आया है। इसमें एक प्रमुख वजह अमेरिकी केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दर में कटौती का चक्र शुरू करना है। आंकड़ों के अनुसार सितंबर में अब तक एफपीआई ने ऋण या बॉन्ड बाजार में स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग (वीआरआर) के माध्यम से 8,543 करोड़ रुपये और पूर्ण रूप से सुलभ मार्ग (एफआरआर) के माध्यम से 22,023 करोड़ रुपये डाले हैं।