उदयपुर (हिंस)। सुप्रीम कोर्ट की ओर से 1 अगस्त को एसटी एससी आरक्षण उप वर्गीकरण का फैसला दिया कि राज्य सरकार कोटे में कोटा बना कर आरक्षण होने के बावजूद अब तक उसके लाभ से वंचितों को राहत पहुंचाई जा सकती है। इससे अंधियारे में जी रहे आदिवासी समाज को आशा की किरण नजर आई है। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय लागू कराने के लिए आदिवासी समाज को संगठित किया जा रहा है। राजस्थान समग्र भील वर्ग आरक्षण मंच ने इस दिशा में प्रयास शुरू कर दिए हैं। मंच के वरिष्ठ सदस्य अरविंद भील बुधवार को हाड़ौती क्षेत्र के पदाधिकारियों के साथ मेवाड़ – वागड़ के दौरे पर पहुंचे। इस दौरान पत्रकारों से चर्चा करते हुए अरविंद भील ने कहा कि आजादी के इतने वर्षों बाद भी भील समाज अपने अधिकारों से वंचित है। भील समाज का सांस्कृतिक, आर्थिक, राजनैतिक विकास करने के लिए सरकार व कई संगठनों ने समय-समय पर कई योजनाएं बनाई, लेकिन आदिवासी समाज की स्थिति में उतना सुधार नहीं हो पाया और आज तक भील समाज मुख्य धारा में नही जुड़ पाया है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने एसटी एससी आरक्षण उप वर्गीकरण का फैसला दिया कि राज्य सरकार कोटे में कोटा बनाकर उन लोगों को लाभान्वित कर सकती है जो आरक्षित वर्ग में होने के बावजूद आज तक इसका लाभ नहीं ले सके हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि एसटी कोटे में एक जाति जिसकी जनसंख्या 28 प्रतिशत है, 90 प्रतिशत नौकरियां उनके पास हैं, उन्हें अलग किया जाना चाहिए। इससे भील, सहरिया, गरासिया, कथौड़ी जैसी आरक्षण से वंचित जातियों को लाभ प्राप्त हो सके। उन्होंने बताया कि हरियाणा, उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में भी आरक्षण में उप वर्गीकरण की योजना बनी है। ऐसी आशा है राजस्थान सरकार इसे जल्द लागू करेगी। उन्होंने कहा कि आज आदिवासी समाज में एक पिता को अपने पुत्र या पुत्री की शादी के लिए जमीन बेचनी पड़ रही है तो फिर भगवान बिरसा मुंडा ने जो जल जंगल जमीन का नारा दिया गया वह अधूरा रह जाएगा। उन्होंने बाबा साहब का कथन दोहराते हुए कहा कि शिक्षित बनो, संगठित रहो, संघर्ष करो के नारे को सार्थक करना होगा। अरविन्द भील ने यह घोषणा की कि राणा पूंजा की धरती पर 1008 प्रतिनिधि एकत्रित होंगे। गांव-गांव में राणा पूजा जयंती मनाएंगे। आरक्षण वर्गीकरण लागू करने को लेकर अलख जगाएंगे।