ईटानगर । नाहरलागुन में विराजमान आर्यिका प्रतिज्ञा श्री माताजी एवं प्रेक्षा श्री माताजी द्वारा धर्म – चर्चा में पुरे भारत में मनाये जा रहे 20वीं सदी के महान प्रथमाचार्य आचार्य शांतिसागर महाराज के आचार्य पदारोहण पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वर्तमान युग में अनेक तपस्वी, ज्ञानी, ध्यानी दिगंबर संत हुए। उनमें आचार्य शांतिसागर महाराज एक ऐसे तपस्वी साधु हुए, जिनकी अगाध विद्वता, कठोर तपश्चर्या, प्रगाढ़ धर्म श्रद्धा, आदर्श चरित्र और अनुपम त्याग ने धर्म की यथार्थ ज्योति प्रज्ज्वलित की। आपने लुप्तप्राय शिथिलाचार ग्रस्त मुनि परंपरा का पुनरुद्धार कर उसे जीवंत किया। यह निग्रंथ श्रमण परंपरा आपकी ही कृपा से अनवरत रूप से आज तक प्रवाहमान है। गुरु मां ने आचार्य श्री के जीवन के बारे में बताते हुए कहा कि इनका जन्म – दक्षिण भारत के प्रसिद्ध नगर बेलगाँव के समीप येलगुल गांव में हुआ था। पिता भीमगौड़ा और माता सत्यवती के आप तीसरे पुत्र थे। आप बचपन से ही वैरागी थे । लौकिक आमोद-प्रमोद से सदा दूर रहते थे । छोटी सी उम्र में ही आपके दीक्षा लेने के परिणाम थे। परंतु माता-पिता के आग्रह के कारण दीक्षा न लेकर घर में धर्मसाधना करते थे । एक दिन जंगल के मंदिर में ध्यान करते वक्त असंख्य चीटियां आपके शरीर पर चढ़ गई एवं देह के कोमल अंग- उपांग को एक-दो घंटे ही नहीं सारी रात खाती रहीं तब भी वे साम्य भाव से परीषह सहन करते रहे। माता – पिता के समाधिस्थ बाद वे अपने आपको रोक नहीं पाए और दिगंबरी दीक्षा लेकर कठोर साधना करने लगे। वे मुनि परंपरा के लिए आदर्श मिसाल थे । उनका जीवन संयम, साधना और तपस्या की अद्भुत गाथा है । उनको 13 अक्तूबर 1924 को चतुर्विध संघ ने आचार्य पद से सुशोभित किया था। आज 13 अक्तूबर को पूरे 100 वर्ष होने के उपलक्ष में महान दिगंबर जैनाचार्य शांतिसागर महाराज का यह वर्ष शताब्दी वर्ष के रूप में मनाने का पूरे भारतवर्ष की जैन समाज ने निर्णय लिया है। गुरु मां ने कहा कि आचार्य शांतिसागर महाराज के जीवन में अनेक उपसर्ग आए। जिन्हें समता पूर्वक सहन करते हुए आपने शांतिसागर नाम को सार्थक किया। 18 सितंबर 1955 को प्रातः 6:50 पर सिद्धोऽहं का ध्यान करते हुए आचार्य श्री ने नश्वर देह का त्याग कर दिया। इस अवसर पर गुरु मां ने कहा आज 13 अक्तूबर को डिमापुर चातुर्मास रत गुरूवर आचार्य 108 श्री प्रमुख सागर जी महाराज का भी 24वां मुनि दीक्षा दिवस है । उनकी ऐसे ही निर्विघ्न तप त्याग – संयम साधना चलती रहे और शीघ्र मोक्ष की प्राप्ति हो । यह प्रेस विज्ञप्ति नाहरलागुन अरूणमय पुष्प प्रमुख वर्षायोग समिति द्वारा दी गई ।