अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में डॉनल्ड ट्रंप की ऐतिहासिक वापसी से भारत के साथ इस देश का व्यापार तनाव बढ़ सकता है। लेकिन आपूर्ति श्रृंखला भारत में आने से उसे काफी फायदा भी हो सकता है क्योंकि अमेरिकी कंपनियां चीन से अपना उत्पादन भारत जैसे देशों में लाने की संभावना तलाश सकती हैं। ट्रंप अमेरिका फर्स्ट नीति पर आगे बढ़ सकते हैं और मुख्य रूप से चीन को निशाना बना सकते हैं। हालांकि अक्टूबर की शुरुआत में उन्होंने भारत को ज्यादा शुल्क वाला देश बताया था। चुनाव के दौरान ट्रंप ने सभी देशों से आयात पर 10 से 20 फीसदी और चीन के उत्पादों पर 60 फीसदी शुल्क लगाने का वादा किया था। अमेरिका भारत का महत्त्वपूर्ण व्यापारिक भागीदार है। वित्त वर्ष 2024 में दोनों देशों के बीच करीब 120 अरब डॉलर मूल्य का व्यापार हुआ था। 35.3 अरब डॉलर के अधिशेष के साथ दोनों के बीच का व्यापार संतुलन भारत के पक्ष में है। अपने पहले कार्यकाल के दौरान ट्रंप ने व्यापार असंतुलन पर चिंता ताई थी और कहा था कि भारत अमेरिका से ज्यादा के आयात नहीं कर रहा है। ईवाई इंडिया में टैक्स एवं इकनॉमिक पॉलिसी (अंतरराष्ट्रीय व्यापार ) एक पार्टनर ने कहा कि भारत को टेक्सटाइल, रसायन, फार्मा तथा वाहन/इंजीनियरिंग उत्पादों पर ज्यादा शुल्क का सामना करना पड़ सकता है। विकल्प के रूप में हमें ऐसे व्यापार समझौते के लिए तैयार रहना चाहिए जो न केवल हमारे वर्तमान हितों की रक्षा करे बल्कि नए हितों के साथ वह अमेरिका के लिए भी आकर्षक हो । ट्रंप ने फ्लोरिडा के वेस्ट पाम बीच में अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए इस जीत को अमेरिका में स्वर्णिम युग की वापसी बताया। ट्रंप ने कहा कि यह शानदार जीत है जो अमेरिका को एक बार फिर महान बनाने में हमारी मदद करेगी। उन्होंने आगे की योजनाओं की ओर इशारा करते हुए कहा कि हम अपनी सीमाओं को दुरुस्त करने जा रहे हैं, हम अपने देश के बारे में सब कुछ ठीक करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं प्रत्येक नागरिक के लिए, आपके परिवार और आपके भविष्य के लिए लडूंगा। मैं तब तक आराम नहीं करूंगा, जब तक हम मजबूत, सुरक्षित और समृद्ध अमेरिका नहीं बना लेते, जिसके हमारे बच्चे और आप हकदार हैं।