
मुंबई (हि.स.) । उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने गुरुवार को मुंबई में कहा कि लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता आवश्यक है । उन्होंने कहा कि निरंतर टकराव की राजनीति लोकतंत्र के मूलभूत सिद्धांतों के खिलाफ है। यह एक शाश्वत सत्य है जो शासन की दिशा तय करने वाला सिद्धांत होना चाहिए, जिससे वर्तमान और भविष्य के नेताओं को मार्गदर्शन मिलेगा। यदि भारत लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता बनाए रखे. तो वह गौरव के सर्वोच्च शिखर पर पहुंच सकता है।उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ मुरली देवरा मेमोरियल डायलॉग्स के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे। यह कार्यक्रम पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली देवरा की स्मृति में आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन, उपराष्ट्रपति की पत्नी डॉ सुदेश धनखड़, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, सांसद मिलिंद देवरा और अशोक चव्हाण, अमृता फडणवीस, हेमा देवरा, कोटक बैंक के राघवेंद्र सिंह, और विभिन्न क्षेत्रों के अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। मुरली देवरा मेमोरियल डायलॉग्स का उद्देश्य सार्वजनिक नीति, सामाजिक न्याय और आर्थिक विकास जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विचार-विमर्श करना है। इस वर्ष की चर्चा का मुख्य विषय नेतृत्व और सुशासन रखा गया है। नेतृत्व और सुशासन पर बोलते हुए, उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि नागरिकों को अपने जनप्रतिनिधियों को जवाबदेह ठहराना चाहिए, क्योंकि जागरूकता लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण पहलू है। उन्होंने बताया कि शासन कार्यकारी तंत्र का विशेषाधिकार है, क्योंकि यह जनता और विधायिका के प्रति उत्तरदायी होता है। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि नेतृत्व केवल एक पद से परिभाषित नहीं होता, बल्कि यह उद्देश्य और विचारधारा से प्रेरित होता है। उपनिषदों का संदर्भ देते हुए धनखड़ ने कहा कि त्याग के माध्यम से ही सच्चे आनंद की प्राप्ति होती है, और नेताओं को इस दर्शन को अपनाना चाहिए।
