
जयपुर ( हिंस) । जल संसाधन मंत्री सुरेश रावत ने बुधवार को विधानसभा में कहा कि राज्य सरकार द्वारा रावी-व्यास नदियों के अधिशेष जल में से राज्य के हिस्से का शेष 0.60 एमएएफ पानी प्राप्त करने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय में इस संबंध में दायर मुकदमे की प्रभावी पैरवी के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता विक्रमजीत बनर्जी, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऑफ इण्डिया को नियुक्त किया गया है। जल संसाधन मंत्री प्रश्नकाल के दौरान सदस्यों द्वारा पूछे गए पूरक प्रश्नों का जवाब दे रहे थे । उन्होंने कहा कि रावी-व्यास नदियों के अधिशेष पानी के बंटवारे के बारे में पंजाब, हरियाणा एवं राजस्थान मध्य 31 दिसंबर 1981 को समझौता हुआ था । समझौते के तहत राजस्थान को 8.60 एमएएफ पानी निर्धारित किया गया। वर्तमान में इसमें से 8.00 एमएएफ पानी राज्य को मिल रहा है। रावत ने आश्वस्त किया कि राज्य के हिस्से का पूरा जल लेने के संबंध में राज्य का पक्ष रखने के लिए भाखड़ा ब्यास प्रबंधन मंडल में एक प्रतिनिधि नियुक्त करने के प्रयास किए जाएंगे। साथ ही एसीएस स्तर के अधिकारी को नोडल अधिकारी नियुक्त करने पर भी विचार किया जाएगा। विधाय कालीचरण सराफ के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में जल संसाधन मंत्री ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार द्वारा राज्य के हिस्से का शेष 0.60 एमएएफ पानी राजस्थान को देने के लिए भारत सरकार, पंजाब सरकार तथा भाखड़ा ब्यास प्रबंधन मंडल से लगातार अनुरोध किया गया तथा उत्तर क्षेत्रीय परिषद की बैठकों में भी लगातार यह मुद्दा उठाया गया। राजस्थान द्वारा 0.60 एमएएफ रावी- व्यास पानी बहाली के लिये सर्वोच्च न्यायालय में एक मूल सूट नं. 6 / 2020 दायर किया, जो कि 26 जुलाई 2024 को सर्वोच्च न्यायालय में सूचीबद्ध हुआ था । उन्होंने गत सरकार द्वारा किए गए प्रयासों का विवरण सदन में प्रस्तुत किया। रावत ने कहा कि सरकार प्रदेश के हिस्से का शेष 0.60 एमएएफ पानी प्राप्त करने के लिए लगातार प्रयासरत है। मुख्य सचिव राजस्थान द्वारा उत्तर क्षेत्रीय परिषद की स्टैंडिंग कमेटी की 25 अक्तूबर 2024 को आहूत 21वीं बैठक में भी यह मुद्दा उठाया गया तथा अतिरिक्त मुख्य सचिव जल संसाधन राजस्थान द्वारा दिनांक 27 फरवरी 2025 को इस बाबत सचिव जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार को पत्र भी लिखा गया है।
