
नई दिल्ली। केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में जेपी नड्डा का कार्यकाल काफी समय पहले ही बीत चुका है और नए भाजपा अध्यक्ष के चुने जाने की प्रक्रिया चल रही है। चर्चा है कि बहुत जल्द भाजपा को एक नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिल सकता है। इन्हीं चर्चाओं के बीच भाजपा के मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सर्वोच्च निर्णय लेने वाले निकाय अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की तीन दिवसीय बैठक (21-23 मार्च) को बंगलूरू में होना निश्चित किया गया है। इस बैठक में संघ के सर्वोच्च पदाधिकारी मोहन भागवत, दत्तात्रेय होसबोले और सभी सहयोगी संस्थाओं के राष्ट्रीय अध्यक्ष और महामंत्री सहित 1480 कार्यकर्ता शामिल होंगे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा है कि संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की इस वर्ष की बैठक में संघ के शताब्दी वर्ष पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों पर चर्चा की जाएगी। इस बैठक में संघ के पिछले वर्ष के कार्यों की समीक्षा की जाती है। और अगले वर्ष के लिए नए लक्ष्य तय किए जाते हैं। संघ की कार्य पद्धति में अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा निर्णय करने वाली सर्वोच्च इकाई है। इस बैठक का आयोजन प्रतिवर्ष होता है। दरअसल, इस साल आने वाली विजयादशमी (दशहरा) 2025 को संघ के सौ वर्ष पूरे हो रहे हैं। आरएसएस इस विजयादशमी से लेकर अगले वर्ष की विजयादशमी को अपने शताब्दी वर्ष के तौर पर देखेगा और इस बीच संघ के कार्यों को विस्तार देने के लिए इस बैठक में योजना बनाई जाएगी। आरएसएस का लक्ष्य है कि वह जल्द से जल्द देश के हर ब्लॉक स्तर तक पहुंचे। इस लक्ष्य को लेकर भी इस बैठक में निर्णय किए जा सकते हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इस समय पंच परिवर्तन के माध्यम से देश में एक बड़े बदलाव की शुरुआत कर चुका है। इसके अंतर्गत लोगों से स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने, नागरिक कर्तव्यों का बोध बढ़ाने, सामाजिक समरसता बनाए रखने और प्लास्टिक का उपयोग न करने को लेकर लोगों को प्रेरित किया जा रहा है। भाजपा कुटुंब प्रबोधन के जरिए सनातनी परिवारों को अपने मूल संस्कारों को अपने जीवन में अपनाने की बात भी कही जा रही है। मुद्दे पर सवाल उठाया। अपनी टिप्पणी में उन्होंने अधिकारियों के भ्रमित करने बैठक में इन पंच परिवर्तन के प्रयासों पर विशेष चर्चा की अपेक्षा है।
