
| देहरादून (हि.स.) । उत्तराखंड के चमोली जिले के माणा क्षेत्र में हुए हिमस्खलन में रेस्क्यू अभियान अभी भी जारी है। सेना के आधिकारिक बयान में कहा गया है कि इस हिमस्खलन में फंसे 55 श्रमिकों में से 50 को निकाला गया है, जिसमें चार की मौत हो गई, जबकि पांच श्रमिकों की तलाश अभी जारी है। चमोली जिले के माणा क्षेत्र में हाई-वे चौड़ीकरण के दौरान 55 श्रमिक शुक्रवार को हिस्खलन की चपेट में आ गए थे। हादसे के बाद से ही रेस्क्यू अभियान जारी है और शनिवार सुबह हिस्खलन में फंसे 55 श्रमिकों में से 50 का रेस्क्यू किया गया। इसमें से चार श्रमिकों ने दम तोड़ दिया। सेना ने चार इडली में प्लास्टिक को बताया गया कि वह इस गंभीर मामले पर बारीकी से नजर रख रहा है और उपभोक्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। एफएसएसएआई के मुताबिक प्लास्टिक शीट का उपयोग करने की प्रथा भोजन में हानिकारक रसायनों के संभावित रिसाव के कारण महत्वपूर्ण खाद्य सुरक्षा चिंताओं को जन्म देती है। एफएसएसएआई के सीईओ जी कमला वर्धनराव ने कहा कि भोजन तैयार करने में निम्न- गुणवत्ता या गैर-खाद्य-ग्रेड प्लास्टिक का उपयोग, विशेष रूप से उच्च तापमान में गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है । उच्च ताप के संपर्क में आने पर ये निम्न श्रेणी के प्लास्टिक बिस्फेनॉल ए (बीपीए), फेथलेट्स और अन्य रसायनों जैसे जहरीले पदार्थ छोड़ सकते हैं जो खाद्य पदार्थों में प्रवेश कर सकते हैं, जिससे संभावित रूप से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। एफएसएसएआई इस मामले की गहन जांच करने और कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए राज्य खाद्य सुरक्षा अधिकारियों के साथ मिलकर काम कर रहा है। एफएसएसएआई ने जोर देते हुए कहा कि भोजन तैयार करने में खाद्य ग्रेड सामग्री का उपयोग और स्वच्छता संबंधी प्रथाएं महत्वपूर्ण हैं। इडली को भाप में पकाने की प्रक्रिया परंपरा के अनुसार या अनुमोदित खाद्य-ग्रेड सामग्री के अनुसार की जानी चाहिए, जिससे रासायनिक संदूषण का खतरा न हो ।
