झुमुर नृत्य प्रामाणिक असमिया संस्कृति है : मुख्यमंत्री

झुमुर नृत्य प्रामाणिक असमिया संस्कृति है : मुख्यमंत्री
झुमुर नृत्य प्रामाणिक असमिया संस्कृति है : मुख्यमंत्री

गुवाहाटी। असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने रविवार को कहा कि झुमुर नृत्य प्रामाणिक असमिया संस्कृति है। एडवांटेज असम 2.0 से पहले कैबिनेट मीटिंग के बाद प्रेस को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि झुमुर देश में कहीं और नहीं किया जाता । भारत के किसी भी अन्य राज्य का नृत्य रूप झुमुर से मेल नहीं खाता । यह प्रामाणिक असमिया संस्कृति है, मुख्यमंत्री ने कहा । नृत्य के नाम के संबंध में मुख्यमंत्री ने कहा कि विशेषज्ञों के अनुसार झुमॉयर नाम उपयुक्त है। इससे पहले फरवरी में संसद के बजट सत्र के दौरान केंद्र ने कहा था कि उसे असम सरकार से ताई आहोम, चुतिया, मटक, मोरान, कोच – राजवंशी और चाय जनजाति को अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी में शामिल करने की सिफारिश मिली है। फरवरी में संसद को सूचित करते हुए जनजातीय मामलों राज्य मंत्री दुर्गादास उइके ने कहा था कि भारत सरकार ने अनुसूचित जाति (एससी) और एसटी सूचियों को निर्दिष्ट करने वाले आदेशों में शामिल करने, बहिष्कृत करने और अन्य संशोधनों के दावों पर निर्णय लेने के लिए तौर-तरीके निर्धारित किए हैं। हालांकि, राज्य की ओर से इन छह समुदायों को एसटी का दर्जा दिए जाने की नवीनतम स्थिति पर अधिक स्पष्टता दिए बिना उइके ने कहा कि राज्य सरकार ने इन छह समुदायों के विकास के लिए कई कदम उठाए हैं। उइके ने कहा कि असम सरकार ने मटक स्वायत्त परिषद, मोरन स्वायत्त परिषद और कामतापुर स्वायत्त परिषद, आदिवासी कल्याण और विकास परिषद, तथा अहोम और चुतिया समुदायों के लिए विकास परिषदों का गठन किया है, ताकि इन समुदायों का सर्वागीण सामाजिक- आर्थिक विकास हो सके। इन परिषदों को अपने-अपने समुदायों के लिए विकास योजनाएं शुरू करने के लिए वार्षिक बजट में पर्याप्त धनराशि आवंटित की गई है। उल्लेखनीय है कि छह समुदायों ताई आहोम, चुतिया, मतक, मोरान, कोच – राजवंशी और चाय जनजाति ने अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी में शामिल किए जाने के लिए राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन किया है। इससे पहले, अक्तूबर में झारखंड मुक्ति मोर्चा ( झामुमो) सरकार ने असम सहित कुछ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में झारखंड से आने वाले चाय समुदाय का व्यापक सामाजिक और आर्थिक सर्वेक्षण करने के लिए एक विशेष समिति गठित करने की मंजूरी दी थी। यह कदम झारखंड सरकार द्वारा इन राज्यों में चाय बागान जनजातियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिलाने के प्रयासों को तेज करने के लिए उठाया गया।

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