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हृदय धमनियों में अवरोध का होना दिल का दौरा पडने का एक प्रमुख कारण है। धमनियों में अवरोध को दूर करने के लिए बाईपास सर्जरी की जाती है, लेकिन एंजियोप्लास्टी के प्रचलन में आने से अब हर मामले में बाईपास सर्जरी कराने की जरूरत नहीं है….
दिल का दौरा (हार्ट अटैक) भारत समेत अनेक देशों में अधिक उम्र के लोगों की असामयिक मौत का एक प्रमुख कारण बन चुका है। हृदय धमनियों में कोलेस्टेरॉल, वसा (फैट) और रक्त के थक्के (ब्लड क्लॉट) के जमाव की घातक परिणति दिल के दौरे के रूप में सामने आती है।
अन्य तकनीकें दिल के दौरे को टालने या दिल के दौरे के पड़ने पर मरीज की जान बचाने के लिए एक समय ऑपरेशन का सहारा लेना पड़ता था, लेकिन बैलून एंजियोप्लास्टी और विभिन्न तरह केस्टेंट्स (स्प्रिंगनुमा यंत्र ) के विकास की बदौलत आज हृदय धमनियों में अवरोध (ब्लॉकेज) को हटाने के लिए हर मामले में बाईपास सर्जरी कराने की जरूरत समाप्त हो गई है। उपर्युक्त दोनों नवीनतम तकनीकों को ओपन हार्ट सर्जरी का कारगर विकल्प माना जाने लगा है। मौजूदा समय में एंजियोप्लास्टी के साथ – धमनियों में स्टेंट इंप्लांट का प्रयोग तेजी से बढ़ रहा है। इस तकनीक को कोरोनरी स्टेंटिंग कहा जाता है। यह तकनीक एंजियोप्लास्टी की तरह ही है। इसमें अंतर इतना है कि अवरुद्ध धमनी में एंजियोप्लास्टी तकनीक की मदद से स्टेंट नामक स्प्रिंगनुमा यंत्र पहुंचाया जाता है और फिर इसे ऑटोमेटिक छतरी की तरह खोल दिया जाता है।
जब अवरोध तीन धमनियों में हो… आम तौर पर स्टेंटिंग एंजियोप्लास्टी का प्रयोग एक या दो धमनियों में होने वाले अवरोध (ब्लॉकेज) को दूर करने के लिए किया जाता है। अगर तीनों धमनियों में अवरोध हो, तो आम तौर पर बाईपास सर्जरी की जाती है। बाईपास में चीरफाड़ करनी पड़ती है और अगर बाईपास के बाद फिर से अवरोध उत्पन्न हो जाए, तो उसे या तो स्टेंटिंग एंजियोप्लास्टी से ठीक किया जाता है या फिर दोबारा बाईपास करना पड़ सकता है, जो बहुत जोखिमभरा होता है। कुछ लोग बहुत ज्यादा डर के कारण बाईपास कराना नहीं चाहते ।
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