रसोई और वास्तु….

घर के महत्वपूर्ण हिस्सों में से रसोई भी एक है। अगर इस भाग में वास्तुदोष हो तो घर में रहने वाले लोगों की सेहत और कमाई पर वह अपना बुरा प्रभाव डालता है। रसोई व्यवस्थित, शुद्ध और साफ-सुथरी होनी चाहिए। ऐसी रसोई में देवी-देवता अपना स्थाई वास बना लेते हैं जिससे घर में कभी भी धन और सुख-समृद्धि की कमी नहीं रहती । रसोई में मंदिर बनाने से पारिवारिक सदस्यों के स्वभाव में गुस्सा और असहनशीलता आती है। रसोई में स्टोर बनाने से जॉब अथवा व्यापार में तरक्की नहीं हो पाती। जिस घर में रसोई और वॉशरूम एक सीध में हो वहां के सदस्यों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं रहती हैं। बेटियों के जीवन में भी अशांति रहती है। मुख्यद्वार के बिल्कुल सामने किचन का होना अपशगुन का प्रतीक होता है। बिना नहाए रसोई में जाने से नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। रसोई का इंटीरियर वास्तु के अनुसार सेट न किया हो तो सेहत और कमाई के साधनों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। दक्षिण-पूर्व दिशा में बना किचन अन्न-धन के भंडार भरता है। सिंक को रसोई के उत्तर-पूर्व में बनवाएं। जल और अग्नि में वैर भाव होता है इसलिए सिंक और चूल्हे को एक सीध में नहीं रखना चाहिए। इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को दक्षिण पूर्व अथवा दक्षिण दिशा में रखना चाहिए। गैस स्टोव और इंडक्शन चूल्हे को दक्षिण पूर्व दिशा में रखें, दीवार से कम से कम 3 इंच की दूरी होनी चाहिए और चूल्हे के ऊपर शेल्फ नहीं होनी चाहिए।

रसोई और वास्तु....
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