नई दिल्ली। असम सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय को सूचित किया कि एलिवेटेड कॉरिडोर राष्ट्रीय उद्यान के लिए प्रस्तावित किया गया था। असम सरकार ने न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ को अवगत कराया कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की तरफ से एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट पर काम चल रहा है और सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच) ने परियोजना को प्राथमिकता ( श्रेणी एक) के रूप में रखा है। सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि उसे उम्मीद है कि एनएचएआई काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में लगभग 34 किमी के प्रस्तावित एलिवेटेड कॉरिडोर को जल्द से जल्द पूरा करेगा और इसके साथ ही अन्य हितधारक वन्यजीव – अनुकूल उपाय के लिए पूरा समर्थन प्रदान करेंगे। पीठ ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि असम राज्य और एमओआरटीएच काजीरंगा अभयारण्य के दो हिस्सों को विभाजित करने वाले एलिवेटेड कॉरिडोर प्रदान करने के लिए आवश्यक कदम उठा रहे हैं ताकि वन्यजीवों को जंगल के एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक आसानी आना ना हो सके। पीठ ने कहा कि हमें उम्मीद है कि एनएचएआई जल्द से जल्द परियोजना को पूरा करेगा और अन्य हितधारकों से भी उम्मीद है कि वे उक्त परियोजना को शीघ्र पूरा करने के लिए पूर्ण समर्थन और सहयोग प्रदान करेंगे। शीर्ष अदालत असम में काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी । पीठ ने ध्यान दिया कि शीर्ष अदालत के 13 मार्च के आदेश के अनुसार, असम राज्य और कार्बी आंग्लांग स्वायत्त परिषद (केएएसी) ने मामले में अपने-अपने हलफनामे दायर किए हैं। पीठ ने यह भी ध्यान दिया कि राज्य के हलफनामे के अनुसार, राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड ने लगभग 20 हेक्टेयर वन भूमि के डायवर्जन के प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी है। पीठ ने एसी के हलफनामे का भी हवाला दिया, जिसमें राष्ट्रीय उद्यान की सीमा से लगे क्षेत्रों में खनन गतिविधियों के मुद्दे पर चर्चा की गई थी। शीर्ष अदालत ने कहा कि हलफनामे के अनुसार, राष्ट्रीय उद्यान के दक्षिणी भाग की सीमा से लगे क्षेत्रों में खनन गतिविधियां पहले ही बंद कर दी गई हैं। पीठ ने कहा कि इसलिए, हम पाते हैं कि केएएसी ने काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की सीमा से लगे क्षेत्रों में अवैध खनन को रोकने के लिए भी आवश्यक कदम उठाए हैं। पिछले साल 4 नवंबर को असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने कहा था कि काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के लिए वन्यजीव – अनुकूल उपाय के रूप में एक एलिवेटेड एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए 5,500 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा था कि एनएच – 715 ( पुराना एनएच – 37 ) के साथ चार लेन की एलिवेटेड सड़क तीन स्थानों पर होगी, जिसकी कुल लंबाई 34.28 किलोमीटर होगी और इसमें दो सुरंगें भी शामिल होंगी। सीएम शर्मा ने कहा था कि वन्यजीव – अनुकूल सड़क की अवधारणा भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून के परामर्श से विकसित की गई थी और इसमें एलिवेटेड सड़कें और सुरंगें होंगी जो क्रमशः जानवरों के अंडरपास और ओवरपास के रूप में काम करेंगी। बता दें कि, काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान गैंडे के अलावा, हाथी घास, दलदली भूमि और घने उष्णकटिबंधीय नम चौड़ी पत्ती वाले जंगलों में देखे जा सकने वाले जानवरों में हूलॉक गिब्बन, बाघ, तेंदुआ, भारतीय हाथी, सुस्त भालू, जंगली भैंसा और दलदली हिरण शामिल हैं।