पाकिस्तान में चिकनगुनिया का कहर, अस्पतालों में पैर रखने की जगह नहीं

पाकिस्तान के कराची शहर में चिकनगुनिया वायरस का प्रकोप तेज हो गया है, जिससे शहर के सरकारी अस्पताल मरीजों से भरे पड़े हैं। हालात इतने खराब हैं कि प्रमुख अस्पतालों में हर दिन 500 से 750 नए मरीजों का इलाज किया जा रहा है। चिकनगुनिया, जो एडीज एजिप्टी मच्छरों के काटने से फैलता है, ने पहले से ही लचर स्वास्थ्य प्रणाली को और कमजोर कर दिया है। मरीजों की बढ़ती संख्या के कारण अस्पतालों में फर्श पर इलाज करने की नौबत आ गई है। चिकनगुनिया एक वायरल बीमारी है, जिसका नाम तंजानिया और मोजाम्बिक की किमाकोंडे भाषा के एक शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ विकृत हो जाना है। हाल के महीनों में बुजुर्गों और मधुमेह के मरीजों में इस बीमारी के गंभीर मामले सामने आए हैं, जिससे कई मरीज लकवा और कुछ कोमा में चले गए हैं। इसके साथ ही हृदय और आंखों संबंधी बीमारियों के लक्षण भी देखे जा रहे हैं। सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार मई से सितंबर के बीच कराची में 172 मरीजों का पॉलीमरेज़ चेन रिएक्शन (पीसीआर) टेस्ट पॉजिटिव आया है। हालांकि, असली मामले इससे कहीं ज्यादा हो सकते हैं, क्योंकि कई मरीज बिना परीक्षण के ही इलाज करा रहे हैं। डॉक्टर अक्सर लक्षण देखकर ही इलाज शुरू कर रहे हैं, जिससे मरीजों का प्लेटलेट काउंट गंभीर रूप से प्रभावित हो रहा है। इस बीच सरकारी सहायता की कमी ने स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है। पाकिस्तान में निजी इलाज की लागत अत्यधिक है, जिससे गरीब मरीजों के लिए उपचार कराना मुश्किल हो रहा है। कराची के सरकारी अस्पतालों में चिकनगुनिया के लिए अलग वार्ड की व्यवस्था नहीं है, जबकि मरीज सामान्य वार्ड में इलाज करा रहे हैं। सिंध संक्रामक रोग अस्पताल और अनुसंधान केंद्र के एक अधिकारी ने चेतावनी दी है कि चिकनगुनिया और डेंगू का प्रकोप दिसंबर तक जारी रह सकता है।

पाकिस्तान में चिकनगुनिया का कहर, अस्पतालों में पैर रखने की जगह नहीं
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