ऑस्ट्रेलिया के ऑलराउंडर ग्लेन मैक्सवेल सीमित ओवरों के एक बड़े खिलाड़ी रहे हैं पर टेस्ट में उन्हें खेलने का अधिक अवसर नहीं मिला है। वह केवल सात मैच ही खेल पाये हैं। मैक्सवेल ने कहा कि उनके अंदर अभी काफी टेस्ट क्रिकेट बचा हुआ है और अवसर मिला तो वह खेलेंगे । वह पिछले कई साल से टेस्ट क्रिकेट से दूर हैं। इस ऑलराउंडर ने कहा कि अगर वह अपने टेस्ट खेलने के सपने को छोड़ देते हैं, तो यह उस युवा मैक्सवेल के साथ अन्याय होगा, जिसने हमेशा लंबे प्रारूप में खेलने का सपना हमेशा से देखा था। मैक्सवेल के नाम सीमित ओवरों की क्रिकेट में कई उपलब्धियां हैं। उन्होंने अपना अंतिम टेस्ट 2017 में ऑस्ट्रेलिया के बांग्लादेश दौरे में खेला था। उन्होंने कहा, अगर मैंने टेस्ट क्रिकेट खेलने का सपना छोड़ दिया तो यह उस युवा ग्लेन मैक्सवेल के साथ अन्याय होगा, जिसने बचपन से ही बैगी ग्रीन कैप पहनने का सपना देखा था । अब भी मेरी टेस्ट खेलने की उम्मीद बनी हुई है, इसलिए मैं खेलने का सपना देखता रहूंगा । भारत के खिलाफ हालांकि आगामी सीरीज में उन्हें टीम में शायद ही जगह मिले। मैक्सवेल को उम्मीद है कि जनवरी में श्रीलंका के दौरे के लिए वह टेस्ट टीम में वापसी कर सकते हैं। उन्होंने कहा, जब मैं बड़ा हुआ तो मैं टेस्ट क्रिकेट में खेलना चाहता था। मेरा मानना है कि मुझे टेस्ट क्रिकेट में समय से थोड़ा पहले पदार्पण का मौका मिला। यह सब कुछ बहुत जल्दी हुआ और मुझे उस समय प्रथम श्रेणी क्रिकेट में खेलने का उतना अनुभव नहीं था जितना कि मैं चाहता था, इस कारया मैरा प्रदर्शन उम्मीद के अनुसार नहीं रहा था। उनका टेस्ट क्रिकेट के प्रति लगाव अब भी बना हुआ है। इसलिए वह अभी भी टीम में जगह मिलने की उम्मीद कर रहे हैं।