यमुनानगर (हिंस)। हरियाणा साहित्य एवं संस्कृत अकादमी के संस्कृत प्रकोष्ठ सौजन्य से डीएवी गर्ल्स कॉलेज के संस्कृत व हिंदी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में मानवीय मूल्यों और नैतिकता की खोज भारतीय ज्ञान व्यवस्था के परिप्रेक्ष्य के विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ के संस्कृत विभाग के पूर्व विभाग अध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र अलंकार मुख्य अतिथि रहे। डीएवी कॉलेज चंडीगढ़ के संस्कृत विभाग अध्यक्ष डॉ. सुषमा अलंकार मुख्य वक्ता रहीं । संस्कृत प्रकोष्ठ के निदेशक डॉ. सी.डी.एस कौशल व कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. मीनू जैन ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। मंगलवार को हुए कार्यक्रम में डॉ. सीडीएस कौशल ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा में मानवीय मूल्यों का विस्तृत रूप से उल्लेख किया गया। हर भारतीय को वेदों व पुराणों के के मंत्र याद होने चाहिए। भारतीय संस्कृति के मुताबिक जीवन यापन करना चाहिए। प्रत्येक मनुष्य को पंच महायज्ञ का आचरण करना चाहिए। प्रातः काल व सायं काल को ध्यान योग व हवन अवश्य करना चाहिए। डॉ. वीरेंद्र अलंकार मनुस्मृति के मुताबिक धर्म की परिभाषा का वर्णन किया । सत्य, पवित्रता, दया, करूणा, आत्मनियंत्रण, दान इत्यादि का पालन करना चाहिए। उन्होंने बताया कि इन सत्य आदि धर्मों से युक्त प्राणी सच्चा धार्मिक होता है। वेदों के मंत्रों को मानवीय मूल्यों से जोड़कर स्वयं को विकसित करने के बारे में बताया। डॉ. सुषमा अलंकार ने वैदिक विवाह पद्धति के मूल्यों का वर्णन करते हुए बताया कि विवाह एक पवित्र कर्म है। विवाह संस्कार के अंतर्गत सप्तपदी के महत्व की चर्चा की। उन्होंने बताया कि विवाह संस्कार का मुख्य उद्देश्य धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति में सहायक होना है। डॉ. अनुभा जैन ने जैन धर्म में वर्णित त्याग, तपस्या, करूणा, दया, धर्य आदि मानवीय मूल्यों का विस्तार से वर्णन किया।