गुवाहाटी । जल जीवन मिशन (जेजेएम) को लेकर असम की सरकार ने बड़ा फैसला किया है। असम सरकार ने जल जीवन मिशन के तहत सभी गतिविधियों को निलंबित करने का फैसला किया है। सरकार ने इसकी वजह का भी खुलासा किया है। जानकारी के मुताबिक इसकी वजह गुणवत्ता नियंत्रण में बड़ी चूक और परियोजना की समयसीमा में देरी है। लेकिन असम सरकार के इस फैसले के बाद प्रदेश में सियासत भी शुरू हो गई है। प्रदेश की कांग्रेस ईकाई ने सरकार के कदम पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भूपेन बोरा ने परियोजना में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि इस प्रोजेक्ट के इर्द-गिर्द व्यापक भ्रष्टाचार हुआ है। उन्होंने इसी के साथ परियोजना की गतिविधियों की सीबीआई से जांच कराने की मांग की है। एपीसीसी अध्यक्ष ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए जल जीवन मिशन में व्यवधान को लेकर गंभीर चिंता जताई। जेएम केंद्र सरकार की एक अहम पहल है। इस मिशन का मकसद 2024 तक ग्रामीण इलाकों के हर घर को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराना है। लेकिन असम में कांग्रेस के भूपेन बोरा ने आरोप लगाया है कि इस मिशन को प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया गया। इसे लागू करने में राज्य सरकार विफल रही । भूपेन बोरा ने इसको लेकर असम सरकार पर निशाना साधा और परियोजना को ठीक से न चलाने का आरोप लगाया। भूपेन बोरा ने यह भी आरोप लगाया कि परियोजना में शामिल ठेकेदार एकल ग्राम योजनाओं के लिए छह महीने की समयसीमा को पूरा नहीं कर सके। उन्होंने जल जीवन मिशन में देरी के पीछे खराब निगरानी और कुप्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया। वहीं असम सरकार के सचिव और जेजेएम के मिशन निदेशक कैलाश कार्तिक एन ने मिशन को फिलहाल निलंबित करने के आदेश दिए हैं। इससे मिशन के प्रबंधन को लेकर प्रदेश में सवाल उठ रहे हैं। विरोधी दल को सरकार पर निशाना साधने का मौका मिल गया है। हालांकि राज्य सरकार ने साफ किया है कि जो परियोजनाएं पहले पूरी हो चुकी हैं, वे सुचारू रूप से चलती रहेंगी। केवल उन्हीं योजनाओं को निलंबित किया गया है, जो अधूरी हैं या जिनको समय के भीतर पूरा नहीं किया गया।