गुवाहाटी ( हिंस)। पैट्रियटिक पीपुल्स फ्रंट असम ( पीपीएफए) ने राज्य सरकार और ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) के वर्तमान नेतृत्व की सराहना की है, जिन्होंने 1 जनवरी, 1951 को कट-ऑफ तिथि के साथ असमिया (असमिया लोगों) की परिभाषा का हल किया है। हालांकि, भारत के सुदूर-पूर्वी हिस्से में स्थित राष्ट्रवादी नागरिकों के इस मंच ने दोनों से राज्य में सभी अवैध विदेशियों की पहचान और निर्वासन के लिए आधार वर्ष के रूप में 1951 को अपनाने का आग्रह किया है। आसू ने 1971 से 1985 के दौरान असम आंदोलन चलाया था, बाद में आसू के आंदोलन की कोख से असम गण परिषद (अगप) राजनीतिक दल का जन्म हुआ था। आसू के प्रतिनिधियों हाल ही में राज्य के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा के साथ ऐतिहासिक असम समझौते के खंड 6 को लागू करने के तरीके खोजने के लिए चर्चा की, जिसमें यह संकल्प लिया गया है कि असमिया में केवल स्वदेशी आदिवासी परिवार, राज्य के अन्य स्वदेशी समुदाय, विशिष्ट कट-ऑफ तिथि पर या उससे पहले क्षेत्र में रहने वाले भारतीय नागरिक और उनके वंशज शामिल होने चाहिए। असम समझौता के खंड 6 में असमिया लोगों की सांस्कृतिक, सामाजिक, भाषाई पहचान और विरासत की रक्षा, संरक्षण और संवर्धन के लिए संवैधानिक, विधायी और प्रशासनिक सुरक्षा उपायों का उल्लेख है। पिछले खंड में अवैध प्रवासियों (पूर्वी पाकिस्तानी नागरिक, जो 25 मार्च, 1971 से पहले असम आए और यहां बस गए) का उल्लेख था, जिन्हें भारतीय नागरिकता मिलेगी और वे असम में रहेंगे। हालांकि, बैठक में बिप्लब कुमार शर्मा के नेतृत्व वाली समिति की सिफारिशों के साथ असमिया लोगों (एक आम भारतीय नागरिक से) को अलग करने की कोशिश की गई। यह असमिया लोगों के अपने देश में सामाजिक-राजनीतिक, भाषाई और सांस्कृतिक हितों की रक्षा के लिए एक अच्छी शुरुआत हो सकती है। अब अगर दिसपुर और आसू दोनों असम में अवैध प्रवासियों की पहचान के लिए राष्ट्रीय कट- ऑफ वर्ष अपनाते हैं तो क्या गलत होगा । यदि तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तानियों को विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय जटिलताओं के कारण निर्वासित करना मुश्किल होगा।