जनता की आशाओं और अपेक्षाओं के अनुरूप सदन में संवाद हो : ओम बिरला

नई दिल्ली (हि.स.) । लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि लोकतन्त्र तभी सशक्त होता है, जब सदन सहमति-असहमति के बावजूद सामूहिक रूप से, गरिमा और शालीनता से लोकहित के विषयों पर चर्चा और संवाद करता है। इसलिए जरूरी है कि जनता की आशाओं और अपेक्षाओं के अनुरूप सदन में संवाद हो। मिजोरम विधानसभा में शुक्रवार को | आयोजित कामनवेल्थ पार्लियामेंट्री अफेयर्स (सीपीए) भारत क्षेत्र जोन-3 के 21वें सम्मेलन के उद्घाटन के दौरान लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि विधायी शुचिता और पारदर्शिता लोकतंत्र को सशक्त करने में सहायक सिद्ध होती है। विधायिका की शुचिता बनाए रखना पीठासीन अधिकारियों का विशेष दायित्व है और इस दिशा में उन्हें सदैव सजग रहना चाहिए। विधायी कार्य में जनता की आशाओं और अपेक्षाओं को प्रमुखता मिलनी चाहिए। इस अवसर पर राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह, मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा, नगालैंड विधानसभा के अध्यक्ष और सीपीए इंडिया क्षेत्र, जोन- थ्री के अध्यक्ष शेरिंगेन लोंगकुमेर, मिजोरम विधानसभा अध्यक्ष लालबियाकजामा और मिजोरम विधानसभा के उपाध्यक्ष लालफामकिमा उपस्थित रहे। मिजोरम विधानसभा के सदस्य और अन्य गणमान्य व्यक्ति इस सम्मेलन में शामिल हुए। इस अवसर पर बिरला ने मिजोरम विधानसभा पुस्तकालय के आर्काइव्ज अनुभाग का उद्घाटन किया । लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संबोधन के दौरान कहा कि विधानमंडल आम लोगों से संबंधित मुद्दों पर उपयोगी चर्चा के लिए मंच है। निर्वाचित प्रतिनिधियों को विधानमंडल के मंच का उपयोग लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए करना चाहिए। इससे नागरिकों का विधायी संस्थाओं पर विश्वास बढ़ेगा, विधि निर्माण की गुणवत्ता बढ़ेगी और विधायी संस्थाओं की गरिमा भी बढ़ेगी। उन्होंने आगे कहा कि विधायिका को विधि और नीति निर्माण के साथ-साथ शासन की जवाबदेही पर जोर देना चाहिए जिससे आम नागरिकों के जीवन में सामाजिक आर्थिक परिवर्तन लाया जा सके। बिरला ने कहा कि विधायी कार्य में डिजिटल प्रौद्योगिकी का अधिकाधिक उपयोग किया जाना चाहिए। इन संस्थानों में डिजिटल तकनीक का प्रयोग विधायी प्रक्रिया में जन भागीदारी, रिसर्च और इनोवेशन को बढ़ाता है और संसदीय समिति प्रणाली को और मजबूत करता है जिससे विधायिका जन कल्याण का सर्वोत्तम माध्यम बनती है।

जनता की आशाओं और अपेक्षाओं के अनुरूप सदन में संवाद हो : ओम बिरला
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