नई दिल्ली ( हिंस) । सरकार ने वायु सेना के उप प्रमुख एयर मार्शल अमर प्रीत सिंह को देश का अगला वायु सेना प्रमुख नियुक्त किया है। वे 30 सितंबर की दोपहर से अगले वायु सेना प्रमुख के रूप में एयर चीफ मार्शल के पद पर कार्यरत होंगे। वह मिग-27 स्क्वाड्रन के फ्लाइट कमांडर, कमांडिंग ऑफिसर और एयर बेस के एयर ऑफिसर कमांडिंग रहे हैं। वर्तमान वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल विवेक राम चौधरी उसी दिन पदमुक्त होंगे। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक एयर मार्शल अमर प्रीत सिंह को दिसंबर, 1984 में भारतीय वायु सेना के लड़ाकब पायलट स्ट्रीम में शामिल किया गया था । लगभग 40 वर्षों की अपनी लंबी और प्रतिष्ठित सेवा के दौरान उन्होंने विभिन्न कमांड, स्टाफ, इंस्ट्रक्शनल और विदेशी नियुक्तियों में काम किया है। राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज और राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज के पूर्व छात्र एयर ऑफिसर एक योग्य उड़ान प्रशिक्षक और एक प्रायोगिक परीक्षण पायलट हैं, जिनके पास विभिन्न प्रकार के फिक्स्ड और रोटरी विंग विमानों पर 5,000 घंटे से अधिक उड़ान का अनुभव है। अपने करियर के दौरान एपी सिंह ने एक ऑपरेशनल फाइटर स्क्वाड्रन और एक फ्रंटलाइन एयर बेस की कमान संभाली है। परीक्षण पायलट के रूप में उन्होंने मास्को, रूस में मिग-29 अपग्रेड प्रोजेक्ट मैनेजमेंट टीम का नेतृत्व किया। वह राष्ट्रीय उड़ान परीक्षण केंद्र में परियोजना निदेशक ( उड़ान परीक्षण) भी थे और उन्हें लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट, तेजस की उड़ान परीक्षण का काम सौंपा गया था । उन्होंने दक्षिण पश्चिमी वायु कमान में वायु रक्षा कमांडर और पूर्वी वायु कमान में वरिष्ठ वायु स्टाफ अधिकारी के रूप में महत्वपूर्ण स्टाफ नियुक्तियां की हैं। वायु सेना उप प्रमुख का पदभार संभालने से पहले वह मध्य वायु कमान के एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ थे। विशिष्ट सेवा के लिए एयर मार्शल को 26 जनवरी, 2019 को भारत के राष्ट्रपति ने अति विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया था । उन्हें परम विशिष्ट सेवा पदक से भी सम्मानित किया जा चुका है। मध्य वायु कमान की उपलब्धियों का एक समृद्ध इतिहास रहा है और पिछले कुछ वर्षों में इसने देश के आसमान की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कमान मुख्यालय सभी परिचालन गतिविधियों का केंद्र है और इस कमान के तहत स्क्वाड्रनों ने स्वतंत्रता के बाद से सभी प्रमुख अभियानों में भाग लिया है। मध्य वायु कमान ने सभी चुनौतियों का सामना करके युद्ध के साथ-साथ शांतिकाल में भी गौरव बढ़ाया है।