होजाई (विभास) हिंदी किसी की मोहताज नहीं, वह अपने आप में राष्ट्रभाषा है यह बात रवींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के भारत तीर्थ सभागार में आयोजित हिंदी सप्ताह के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित जानेमाने गीतकार, साहित्यकार व लेखक वीरकंडे प्रसाद ने कही। उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि हिंदी का व्यापक प्रचार-प्रसार करने के लिए हमें क्षेत्रीय भाषाओं की रचनाओं का हिंदी में अनुवाद कर उसका प्रसार करना चाहिए, जिससे हिंदी भाषियों व गैर हिंदी भाषियों में एक समन्वय का सूत्र व एक दूसरे के प्रति सम्मान की भावना स्थापित हो। प्रसाद ने आगे कहा कि हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा प्राप्त नहीं हुआ, इसके लिए कुछ लोग पंडित जवाहरलाल नेहरू को जिम्मेदार ठहराते हैं । परंतु इसमें उनकी कोई गलती नहीं थी। पं. नेहरू ने अपने कार्यकाल में 15 वर्ष की अवधि निर्धारित की थी कि 15 वर्षों के बाद जब समय परिस्थिति अनुकूल होगी तब हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिया जाएगा। इसी कड़ी में त्रिभाषा सूत्र लागू किया गया। पर हिंदी भाषी राज्य के निवासियों ने हिंदी और अंग्रेजी को तो अपनाया पर किसी भी क्षेत्रीय भाषा को सीखने में रूचि नहीं दिखाई । जिसके परिणाम स्वरुप गैर हिंदी राज्यों में हिंदी का विरोध हुआ । इसके अलावा राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी के चलते भी आज तक हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं मिला। किंतु हिंदी भाषा ही हमारे देश को एक सूत्र में पिरो कर रखे हुए है। हमें इस पर गर्व करना चाहिए। उन्होंने आगे अपने जीवन यात्रा के अनुभवों को सबके साथ साझा किया व अपनी चुनिंदा गीतों को मंच पर गाकर लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया। इस उपलक्ष पर विश्वविद्यालय के डिन प्रोफेसर कौशिक चंदा ने कहा हिंदी हमारी धरोहर और हमारी पहचान है इसको आगे बढ़ाने हेतु हम सबको मिलकर काम करना होगा ताकि हिंदी और समृद्ध हो । सम्मानित अतिथि के रूप में उपस्थित होजाई बालिका महाविद्यालय के हिंदी विभाग के अध्यक्ष काशीनाथ चौहान ने कहा जब तक हिंदी भाषी लोग हिंदी पर गर्व नहीं करेंगे उसे अपनाएंगे नहीं तब तक हिंदी समृद्ध नहीं होगी। उन्होंने कहा कि जब तक हम अपने बच्चों को हिंदी स्कूलों में नहीं पढ़ाएंगे तब तक हिंदी आगे नहीं बढ़ेगी । वरिष्ठ पत्रकार व समाजसेवी रमेश मूंदड़ा ने कहा जब हम हिंदी के साथ-साथ सभी क्षेत्रीय भाषाओं को सम्मान करेंगे तब स्वत ही हिंदी आगे बढ़ेगी। उन्होंने बताया हिंदी के क्षेत्र में रोजगार के कई अवसर मौजूद है। हमें हिन्दी पर गर्व करना चाहिए क्योंकि यह हमारे देश की एकता और अखंडता की पहचान है । कार्यक्रम में रवींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ. मनोज कुमार स्वामी ने हिंदी के प्रचार- प्रसार पर जोर देते हुए हिंदी दिवस के औचित्य और प्रासंगिकता पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा हिंदी हमारी संवेदना की भाषा है। हिंदी के बिना भारत और भारतीयता अधूरी है। इस अधूरेपन को दूर करने के लिए हमें हिंदी में जीना होगा। उन्होंने आगे बताया कि हिंदी विभाग द्वारा 9 सितंबर से 14 सितंबर तक हिंदी सप्ताह का आयोजन हर्षोल्लास के साथ किया गया । उन्होंने इस कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए सभी को धन्यवाद भी दिया। इस दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी हुआ। जिसमें मुख्य आकर्षण का केंद्र रहा संस्कृत से निकली भारतीय भाषाओं एवं उपभाषाओं का मंचन व संस्कृत द्वारा अपनी पुत्रियों को प्रेषित एक खुला पत्र | कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलित कर, राष्ट्रीय गान के परिवेशन के साथ हुआ। कार्यक्रम के उद्देश्य की व्याख्या विभाग के अध्यापक डॉ. संतोष कुमार गुप्ता ने अत्यंत सुंदर ढंग से की हिंदी विभाग के अध्यापक डॉ. नागेश्वर यादव ने बड़े आकर्षक अंदाज में कार्यक्रम का संचालन किया। वहीं सप्ताह व्यापी कार्यक्रमों के दौरान आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं का पुरस्कार वितरण भी किया गया । अंत में अध्यापिका डॉ. संगीता पासी ने धन्यवाद ज्ञापन किया और कार्यक्रम का समापन असम के जातीय संगीत ओ मूर अपूनार देश के परिवेशन के साथ हुआ ।