मंत्रालय ने 71 कैप्टिव और वाणिज्यिक कोयला खदानों की प्रगति की समीक्षा की है। ये सभी कोयला खदानें नीलामी की प्रक्रिया पूरा होने के विभिन्न चरणों में हैं। कोयला मंत्रालय ने गुरुवार को जारी एक बयान में यह जानकारी दी है। मंत्रालय ने जारी एक बयान में कहा कि उन खदानों की स्थिति की समीक्षा के लिए बैठक हुई, जिनकी नीलामी अलग-अलग चरणों में की गई है। ये सभी कोयला खदानें प्रक्रिया पूरी होने के विभिन्न चरणों में हैं। इस बैठक की अध्यक्षता कोयला मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव और नामित प्राधिकारी रूपिंदर बरार ने की। इन खदानों की व्यापक समीक्षा में घरेलू कोयला उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को उजागर करने पर ध्यान केंद्रित किया गया। बैठक के दौरान अतिरिक्त सचिव ने आवंटियों से उन कोयला ब्लॉकों को चालू करने के लिए आवश्यक कदम उठाने पर जोर दिया, जो परिचालन के उन्नत चरणों में हैं। कोयला मंत्रालय ने कहा कि यह रणनीतिक समीक्षा भारत की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए कोयला ब्लॉकों के संचालन में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए मंत्रालय के सक्रिय दृष्टिकोण को रेखांकित करती है। इन खदानों पर ध्यान केंद्रित करके, सरकार का लक्ष्य घरेलू संसाधनों को अधिकतम करना और कोयले के आयात पर निर्भरता को कम करना है। दरअसल कोयला मंत्रालय घरेलू कोयला उत्पादन में वृद्धि के माध्यम से भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो देश के सतत आर्थिक विकास की दिशा में आगे बढ़ने में मदद करता है। उल्लेखनीय है कि 71 कोयला ब्लॉक विनियामक मंजूरी प्राप्त करने के विभिन्न चरणों में हैं। ये ब्लॉक नौ राज्यों में वितरित हैं, जो अरुणाचल प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में स्थित हैं।